ʺउन्नाव में जनशक्ति ड्रीम्स संस्था पर कृषि भूमि का अवैध उपयोग प्लॉटिंग, फर्जीवाड़ा और राजस्व नियमों के उल्लंघन का गंभीर आरोप, उच्चस्तरीय जांच की मांगʺ


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उत्तर प्रदेश

जनपद उन्नाव की तहसील सदर के ग्राम हुसैननगर में एक बड़ा भूमि घोटाला सामने आया है, जिसमें जनशक्ति ड्रीम्स नामक संस्था पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उसने कृषि प्रयोजन हेतु खरीदी गई भूमि का अवैध रूप से आवासीय और व्यावसायिक उपयोग शुरू कर दिया है। प्रकरण में शिकायतकर्ता ने  राजस्व परिषद, उत्तर प्रदेश लखनऊ को संबोधित एक विस्तृत शिकायती प्रार्थना दिया है। इस प्रार्थना पत्र में शिकायतकर्ता ने बताया है कि संस्था द्वारा जिन गाटा संख्याओं – 1344, 1092/1, 1109/2, 1092, 1102, 1106, 1108, 1323, 1335, 1338, 1344, 1354, 2205/1, 2222 आदि – को क्रय किया गया है, वे सभी स्पष्ट रूप से कृषि भूमि के रूप में राजस्व अभिलेखों में दर्ज हैं, लेकिन संस्था ने इनका गैरकानूनी ढंग से आवासीय और व्यावसायिक रूप में विक्रय कर दिया गया है।

शिकायतकर्ता ने अपने पत्र में यह स्पष्ट रूप से दर्शाया है कि जनशक्ति ड्रीम्स संस्था को शासन या किसी प्राधिकृत सरकारी एजेंसी से इन कृषि भूमि गाटों को आवासीय या व्यावसायिक रूप में परिवर्तित करने की कोई अनुमति प्राप्त नहीं है। यह संस्था कथित रूप से बड़े पैमाने पर इन कृषि भूमि पर प्लॉटिंग और विक्रय का कार्य कर रही है। संस्था द्वारा यह कार्य योजनाबद्ध तरीके से और पूरी तैयारी के साथ किया जा रहा है, जिसमें क्षेत्रीय प्रशासन की अनदेखी अथवा मिलीभगत की आशंका भी प्रकट की गई है। उल्लेखनीय है कि संस्था द्वारा भूमि का बैनामा तो कृषि प्रयोजन के नाम पर कराई गई, परंतु बाद में उस पर मकान, दुकान और व्यवसायिक प्रतिष्ठान बनाकर खुलेआम बाजार में बेचा जा रहा है। यह कार्य पूरी तरह से उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता में उल्लिखित कानूनों का खुला उल्लंघन है।

शिकायतकर्ता ने कहा है कि संस्था ने न केवल कृषि भूमि का गैरकानूनी ढंग से उपयोग किया है, बल्कि उसने ग्रामीणों और खरीददारों के साथ भी धोखाधड़ी की है। संस्था ने किसी प्रकार की भू-उपयोग परिवर्तन की प्रक्रिया पूरी नहीं की है, न ही धारा 80 के अंतर्गत भूमि उपयोग परिवर्तन की वैध अनुमति ली है, और न ही नगरीय विकास प्राधिकरण से लेआउट या नक्शा स्वीकृति प्राप्त की है। इसके बावजूद, बिना किसी स्वीकृति के यह संस्था खुलेआम 'हुसैननगर रेजिडेंशियल स्कीम' के नाम पर प्लॉट बेच रही है। यह कार्य न केवल भूमि उपयोग नियमों का उल्लंघन है, बल्कि इससे प्रदेश सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व की सीधी हानि भी हो रही है। ऐसे में यह पूरा प्रकरण एक गंभीर घोटाले की तरह उभरकर सामने आया है।

शिकायतकर्ता का आरोप है कि संस्था द्वारा जमीन खरीदने के तुरंत बाद ही उसे बेंचना शुरू कर दिया गया और भूमि को छोटे-छोटे भूखंडों में विभाजित कर मार्केटिंग की गई। इस दौरान संस्था ने न तो ग्राम पंचायत से भूमि उपयोग संबंधी कोई प्रमाण पत्र प्राप्त किया और न ही निर्माण कार्य हेतु कोई वैध अनुमति ली। आश्चर्य की बात यह है कि आज तक न तो कोई सक्षम अधिकारी मौके पर जांच करने गया और न ही कोई तकनीकी परीक्षण कराया गया। इसके उलट, संबंधित विभागों से फर्जी आख्या बनवाकर यह प्रदर्शित किया गया कि स्थल निरीक्षण हो चुका है, जबकि वास्तव में कोई भी अधिकारी वहां कभी पहुंचा ही नहीं। यह कृत्य न केवल प्रशासन को गुमराह करने वाला है, बल्कि शासन की आंखों में धूल झोंककर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला भी है।

शिकायतकर्ता ने यह भी कहा है कि जनशक्ति ड्रीम्स संस्था द्वारा क्रय की गई भूमि का उपयोग भारतीय स्टांप अधिनियम 1899 के तहत गलत मूल्यांकन और कम स्टांप शुल्क के साथ किया गया है, जिससे शासन को भारी वित्तीय क्षति पहुंची है। इसके अतिरिक्त संस्था द्वारा किए गए सभी लेन-देन में मोटे तोर पर भ्रष्टाचार और कदाचार की बू आती है। इस कारण से यह पूरा प्रकरण उच्चस्तरीय आर्थिक अपराध की श्रेणी में आता है और इसमें शासन तथा प्रशासन की निष्क्रियता अथवा मिलीभगत की गहन जांच की आवश्यकता है।

शिकायतकर्ता ने पूर्व में भी अपनी शिकायतों को फॉलोअप किया, परंतु अब तक कोई प्रभावशाली कार्यवाही नहीं हुई। उन्होंने आरोप लगाया है कि जांच के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाई गई है, और मौके पर निरीक्षण के नाम पर झूठी रिपोर्ट भेज दी गई है।

शिकायतकर्ता का यह भी कहना है कि उक्त फर्जी रिपोर्ट तहसीलदार और उपजिलाधिकारी द्वारा भेजी गई है, जो कि सच्चाई से कोसों दूर है और शासन को गुमराह करने का प्रयास मात्र है। उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया है कि इस प्रकार की झूठी रिपोर्टिंग से न केवल शासन को नुकसान हुआ है, बल्कि यह अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही को भी संदेह के घेरे में लाती है।

अंत में, शिकायतकर्ता ने मांग की है कि उक्त प्रकरण की उच्चस्तरीय और निष्पक्ष जांच कराई जाए, जिसमें स्थलीय निरीक्षण हो, राजस्व रिकॉर्ड खंगाले जाएं, संस्था की पंजीकरण एवं स्वीकृति की वैधता की जांच हो, तथा दोषी अधिकारियों एवं संस्था के जिम्मेदार प्रतिनिधियों पर कठोर दंडात्मक कार्यवाही की जाए। साथ ही उन्होंने अनुरोध किया है कि शासन इस घोटाले को गंभीरता से लेते हुए जनहित में शीघ्र निर्णय करे, ताकि भविष्य में इस प्रकार के भूमि घोटालों और अनियमितताओं पर अंकुश लगाया जा सके।

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3 Comments

  1. मैनपुरी में तिवारी जी को ढेर सारी बधाई दिव्यांग लोग प्रेरणा लेवे

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  2. जनशक्ति का मामला उठा कर बहुत सुन्दर सराहनीय कार्य किया है

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  3. जितना फर्जी यह प्रार्थना पत्र है उतना ही फर्जी यह व्यक्ति है जिसने झूठी खबर फैलाई है

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