उन्नाव (तहसील सदर): ग्राम हुसैननगर, परगना व तहसील-सदर, जनपद-उन्नाव स्थित कृषि भूमि को लेकर एक बड़ा मामला सामने आया है। जनशक्ति ड्रीम्स संस्था पर आरोप है कि उसने राजस्व अभिलेखों में कृषि के रूप में दर्ज कई भूखंडों को अवैध रूप से आवासीय व व्यावसायिक प्रयोजन हेतु बेच दिया है।
तहसीलदार सदर को भेजी गई शिकायत के अनुसार, ग्राम हुसैननगर में स्थित भूखंड संख्या 1344मि, 1092मि, 1109मि, 1109/2टी, 1092टी, 1102, 1106, 1108, 1323मि, 1335मि, 1338मि, 1354मि, 2205/1, 2222मि आदि भूमि को जनशक्ति ड्रीम्स संस्थान द्वारा कृषि प्रयोजन के नाम पर क्रय किया गया, लेकिन बाद में उक्त भूमि का उपयोग नियमों को दरकिनार कर आवासीय/व्यावसायिक कार्यों के लिए किया जा रहा है।
शिकायत में लगाए गए प्रमुख आरोप:
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धोखाधड़ी से भूमि क्रय-विक्रय: जनशक्ति ड्रीम्स संस्था के संचालकों द्वारा शासन व सरकार को धोखे में रखकर लाखों रुपये की भूमि का बड़े स्तर पर खरीद-फरोख्त किया गया है।
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राजस्व रिकॉर्ड में कृषि भूमि: यह सभी भूखंड आज भी राजस्व अभिलेखों में “कृषि भूमि” के रूप में दर्ज हैं और संस्थान द्वारा इसे कृषि प्रयोजन हेतु क्रय किया गया था।
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अवैध उपयोग: संस्थान ने कृषि भूमि को "आवासीय/व्यावसायिक" उपयोग में बिना वैधानिक प्रक्रिया के प्रयोग करना शुरू कर दिया है, जो कि “3010 राजस्व संहिता 2006 की धारा-80” का सीधा उल्लंघन है।
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बिक्री की प्रक्रिया नियम विरुद्ध: नियमानुसार यदि कोई संस्था कृषि भूमि का प्रयोग आवासीय या व्यावसायिक उद्देश्य हेतु करना चाहती है, तो उसे पहले धारा-80 के तहत गैर-कृषि प्रयोजन की अनुमति प्राप्त करनी होती है, जो इस मामले में नहीं की गई।
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प्रशासनिक मिलीभगत का आरोप: संस्था के संचालकों द्वारा स्थानीय राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से भूमि को व्यावसायिक रूप में बेचकर भ्रष्टाचार किया गया है, जो “भारतीय स्टांप अधिनियम 1899” का घोर उल्लंघन है।
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बिना नक्शा पास और अनापत्ति प्रमाण पत्र: जनशक्ति ड्रीम्स संस्था ने जिला पंचायत से बिना नक्शा पास कराए और लोक निर्माण विभाग से बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त किए ही भूखंडों की बिक्री शुरू कर दी।
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कोई निर्माण नहीं, भविष्य में विवाद की आशंका: अब तक इन भूखंडों पर कोई स्थायी निर्माण नहीं हुआ है। इससे भविष्य में भू-स्वामित्व को लेकर विवाद उत्पन्न हो सकते हैं और खरीदारों को भारी नुकसान हो सकता है।
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सरकार को करोड़ों की चपत: आरोप है कि संस्थान ने प्लॉटिंग कर बेचने की प्रक्रिया में सरकार को लाखों-करोड़ों का राजस्व नुकसान पहुंचाया है।
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मामले को 'घोर आपराधिक' बताया गया: शिकायतकर्ता ने इस संपूर्ण प्रकरण को “घोर आपराधिक श्रेणी” में रखते हुए, जनशक्ति ड्रीम्स संस्थान द्वारा किए गए भूमि क्रय-विक्रय की उच्चस्तरीय जांच तथा दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग की है।
यह मामला केवल अवैध प्लॉटिंग या गलत बिक्री तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सरकारी राजस्व की चोरी, नियमों की अनदेखी, और स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। यदि समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह एक बड़ा भूमि घोटाला साबित हो सकता है।
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