ʺगाजियाबाद में ‘टोपीबाज’ हर्षवर्धन जैन का चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा: काल्पनिक देशों का राजदूत बन रचाई जालसाजी की दुनियाʺ


गाजियाबाद 

गाजियाबाद के कवि नगर क्षेत्र से उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (UP STF) ने एक अत्यंत हैरतअंगेज और जटिल फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है, जिसने न केवल स्थानीय प्रशासन को चौंकाया, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया। इस पूरे प्रकरण का मास्टरमाइंड है हर्षवर्धन जैन, जिसने खुद को विभिन्न काल्पनिक देशों का राजदूत और काउंसुल घोषित कर, भारत के भीतर एक भ्रामक और अवैध दूतावास नेटवर्क खड़ा कर दिया था। हर्षवर्धन कवि नगर के एक किराए के मकान से “वेस्ट आर्कटिक”, “सबोरगा”, “ओलिविया”, और “लोडोनिया” जैसे किसी भी आधिकारिक रिकॉर्ड में न पाई जाने वाली माइक्रोनेशन नामक तथाकथित देशों के दूतावास चला रहा था। उसके पास नकली राजनयिक पासपोर्ट, विदेश मंत्रालय की जाली मोहरें, फर्जी दस्तावेज, प्रेस कार्ड और सैटेलाइट फोन जैसे संसाधन मौजूद थे, जो उसकी ठगी को अंतरराष्ट्रीय स्तर का रूप देने में मदद कर रहे थे।

हर्षवर्धन जैन ने धोखाधड़ी का एक ऐसा जाल बुना था, जिसमें वह खुद को एक हाई-प्रोफाइल विदेशी राजनयिक दिखाता था। उसने चार महंगी लग्जरी गाड़ियों पर डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट लगवा रखी थीं, जिससे वह खुद को एक वैध विदेशी प्रतिनिधि के रूप में पेश करता था। इतना ही नहीं, लोगों को प्रभावित करने और भरोसे में लेने के लिए वह प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और अन्य प्रतिष्ठित हस्तियों के साथ मॉर्फ की गई तस्वीरें भी दिखाया करता था, ताकि उसकी छवि एक अंतरराष्ट्रीय राजदूत जैसी लगे। यही नहीं, वह लोगों को विदेशों में नौकरी दिलाने, अंतरराष्ट्रीय कारोबार शुरू कराने और विदेशी निवेश के नाम पर फंसाकर उनसे मोटी रकम वसूलता था। इस काम में उसने फर्जी कंपनियों और तथाकथित विदेशी मिशनों की मदद से एक संगठित ठगी तंत्र विकसित किया हुआ था, जिसमें हवाला के जरिए धन का अवैध लेन-देन भी शामिल था।

STF की नोएडा यूनिट को जब उसके इस नेटवर्क की गुप्त सूचना मिली, तब एक सुनियोजित तरीके से कवि नगर स्थित उसके ठिकाने पर छापेमारी की गई। इस छापे में जो चीजें बरामद हुईं, वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं थीं। STF ने उसके पास से 12 फर्जी डिप्लोमैटिक पासपोर्ट, चार डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगी लग्जरी गाड़ियां, विदेश मंत्रालय की मुहर लगे फर्जी दस्तावेज, 44 लाख 70 हजार रुपये नकद, विभिन्न देशों की विदेशी मुद्राएं, 34 अलग-अलग फर्जी मोहरें, दो फर्जी प्रेस कार्ड, कंपनियों से जुड़े दस्तावेज और 18 अन्य फर्जी डिप्लोमेटिक नंबर प्लेटें बरामद कीं। इसके अलावा, हर्षवर्धन के पास से दो फर्जी पैन कार्ड और एक अवैध सैटेलाइट फोन भी मिला, जिसके आधार पर यह स्पष्ट हो गया कि वह कई स्तरों पर सुरक्षा और वैधानिक व्यवस्थाओं को चकमा दे रहा था।

इस पूरे प्रकरण में और भी चौंकाने वाली बात यह है कि हर्षवर्धन का नाम पहले भी अवैध गतिविधियों से जुड़ चुका है। वर्ष 2011 में कवि नगर थाने में उसके खिलाफ अवैध सैटेलाइट फोन रखने का मामला दर्ज हुआ था। इसके अलावा, उसकी कथित संबद्धता भारत के कुख्यात तांत्रिक चंद्रास्वामी और अंतरराष्ट्रीय हथियार तस्कर अदनान खाशोगी जैसे हाई-प्रोफाइल अपराधियों से भी बताई जा रही है, जिससे उसके अपराध नेटवर्क की गहराई और खतरनाकता का अंदाजा लगाया जा सकता है। STF का मानना है कि हर्षवर्धन ने फर्जी दस्तावेजों के बल पर न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी आर्थिक अपराधों की जड़ें जमा रखी हैं। वह शेल कंपनियों के जरिए हवाला लेन-देन में सक्रिय था और विदेशी मुद्रा का अवैध कारोबार कर रहा था।

STF के डिप्टी एसपी राजकुमार सिंह के अनुसार, हर्षवर्धन जैन का आपराधिक इतिहास लंबा और सुनियोजित है। वह माइक्रोनेशन जैसे नामों का सहारा लेकर अपनी ठगी को एक वैधानिक रूप देता था और भोले-भाले लोगों को भ्रमित करता था। उसने इतने पेशेवर तरीके से अपने अवैध कार्यालय को एक दूतावास जैसा स्वरूप दिया था कि सामान्य व्यक्ति को शक होने की कोई गुंजाइश नहीं थी। यही नहीं, उसने प्रेस कार्ड बनवाकर अपनी पहुँच को और अधिक विश्वसनीय और प्रभावशाली बनाने की कोशिश की। उसके नेटवर्क की जांच के लिए STF ने एक विशेष टीम गठित की है, जो इस पूरे प्रकरण की गहराई से पड़ताल कर रही है कि और कितने लोग इस गिरोह में शामिल हैं और कितने लोगों को ठगा गया है।

पुलिस ने हर्षवर्धन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (दस्तावेज़ की जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेजों का प्रयोग), पासपोर्ट एक्ट और अन्य विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि हवाला रैकेट के जरिए किस प्रकार की अंतरराष्ट्रीय फंडिंग की गई और किन-किन बैंकों, व्यक्तियों या संस्थाओं के माध्यम से धन का लेनदेन हुआ। इसके अलावा, विदेश मंत्रालय और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को भी इस प्रकरण की जानकारी दी गई है, ताकि देश की सुरक्षा व्यवस्था से खिलवाड़ करने वाले इस तरह के नेटवर्क को जड़ से समाप्त किया जा सके।

इस पूरे मामले से एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है कि अपराधी किस प्रकार उच्च तकनीक, फर्जी दस्तावेज और मनोवैज्ञानिक हथकंडों का इस्तेमाल कर आम लोगों और सरकारी तंत्र को भ्रमित करने में सफल हो सकते हैं। हर्षवर्धन जैन जैसे ‘टोपीबाज’ अपराधियों का भंडाफोड़ देश के सुरक्षा ढांचे के सतर्क और सक्रिय होने का प्रतीक है, लेकिन यह घटना यह भी चेतावनी देती है कि हमें ऐसे हाई-प्रोफाइल फर्जीवाड़ों के प्रति हमेशा सजग और जागरूक रहना होगा। 

STF की यह कार्रवाई देश में संचालित हो रहे फर्जी नेटवर्क्स के खिलाफ एक महत्वपूर्ण और प्रशंसनीय कदम है, जिसने न सिर्फ एक बड़े अपराधी को पकड़ा, बल्कि कई मासूमों को ठगे जाने से भी बचा लिया।

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