उन्नाव
उन्नाव जिले के अजगैन कोतवाली क्षेत्र में शुक्रवार की सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया। यह हादसा सुबह लगभग 10 बजे के आसपास हुआ, जब धोबियाना मोहल्ले में शिवाला के पास रहने वाली 52 वर्षीय महिला सावित्री देवी की खेत में काम करते समय मौत हो गई। सावित्री देवी अपने पति ओमकार के साथ गांव के ही एक किसान सुरेंद्र के खेत में धान की रोपाई की तैयारी के तहत पानी लगा रही थीं। खेत में लगे डीजल इंजन की सहायता से नाली में पानी प्रवाहित किया जा रहा था। उसी दौरान जब इंजन की गति को धीमा करने के लिए सावित्री देवी आगे बढ़ीं, तो अचानक उनकी साड़ी इंजन के घूमते पहिए में फंस गई। साड़ी के पहिए में उलझते ही इंजन की तेज गति ने उन्हें अपनी ओर खींच लिया और वह इंजन के नजदीक गिर गईं। गिरते ही सिर और शरीर पर गंभीर चोटें आईं, जिससे घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई।
घटना होते ही पति ओमकार और खेत के अन्य लोग घबरा गए और भागकर मदद के लिए पुकारने लगे। आसपास के खेतों में काम कर रहे लोग भी घटनास्थल पर दौड़ पड़े, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। तुरंत परिजनों ने स्थानीय पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलते ही अजगैन कोतवाली की पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंची और शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। हादसे की जानकारी पूरे मोहल्ले और गांव में आग की तरह फैल गई। सावित्री देवी की असामयिक और त्रासद मृत्यु की खबर सुनकर गांव में शोक की लहर दौड़ गई और घर के बाहर लोगों की भीड़ जुटने लगी। रोते-बिलखते परिजनों का हाल बेहाल था।
सावित्री देवी अपने पीछे एक 23 वर्षीय पुत्र सतीश को छोड़ गई हैं, जो माता के यूं अचानक दुनिया छोड़ देने से पूरी तरह टूट गया है। गांव के लोग सावित्री देवी को एक सीधी-सादी, मेहनती और विनम्र महिला के रूप में जानते थे। उनकी मृत्यु से न सिर्फ परिवार बल्कि पूरा मोहल्ला सदमे में है। लोग यह सोचकर सिहर उठते हैं कि खेत में रोजमर्रा के कामकाज के दौरान ऐसी घटनाएं कितनी तेजी से जानलेवा बन सकती हैं। सावित्री देवी और उनके पति खेतों में मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे, और उनका जीवन बेहद साधारण और संघर्षपूर्ण था।
पुलिस का कहना है कि प्रारंभिक जांच में यह दुर्घटनावश हुई मौत प्रतीत हो रही है, लेकिन मामले की सभी कोणों से जांच की जा रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो सकेगी। यह हादसा एक बार फिर से यह सवाल खड़ा करता है कि खेतों में मशीनरी के इस्तेमाल के दौरान सुरक्षा के उपाय कितने जरूरी हैं। अक्सर ग्रामीण इलाकों में महिलाएं पारंपरिक पोशाक जैसे साड़ी पहनकर खेतों में काम करती हैं, जो मशीनों के साथ संपर्क में आने पर खतरे का कारण बन सकती हैं। इस घटना ने न केवल एक परिवार को मातम में डुबो दिया, बल्कि पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया है।
अब यह उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन इस मामले में पीड़ित परिवार को उचित सहायता उपलब्ध कराएगा और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए जागरूकता और सुरक्षा उपायों पर ध्यान देगा। फिलहाल गांव का माहौल बेहद गमगीन है और हर आंख नम है, क्योंकि सावित्री देवी अब सिर्फ एक याद बनकर रह गई हैं।
#unnao