क्या है मामला?
घटना उन्नाव जिले के सोहरामऊ थाना क्षेत्र की है। पीड़ित पत्रकार दैनिक भास्कर डिजिटल में कार्यरत हैं और ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं और भ्रष्टाचार के मुद्दों को प्रमुखता से उठाते रहते हैं। पत्रकार ने अपनी तहरीर में बताया है कि उन्होंने करीब दो माह पूर्व अजगैन कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले लखनापुर गांव की एक खबर प्रकाशित की थी। खबर में गांव के विकास कार्यों में हो रही अनियमितताओं और ग्रामीणों की शिकायतों को प्रमुखता से उजागर किया गया था।
इस खबर से लखनापुर गांव के प्रधान अजय राजपूत नाराज हो गए। आरोप है कि उन्होंने बीती रात पत्रकार को फोन किया और गाली-गलौज शुरू कर दी। यही नहीं, प्रधान ने फोन पर पत्रकार को जान से मारने की धमकी भी दी और कहा कि "तुम्हें घर से उठवा लूंगा, खबर लिखने का अंजाम भुगतना पड़ेगा।"
लगातार धमकियां, मानसिक उत्पीड़न
पत्रकार का कहना है कि उसने किसी निजी भावना से खबर नहीं लिखी थी, बल्कि उसने वही छापा जो गांव में हो रहा था और जिसके प्रमाण मौजूद थे। मगर इसके बावजूद प्रधान लगातार उन्हें परेशान करता रहा। शुक्रवार की सुबह भी प्रधान ने उन्हें फोन कर अपशब्द कहे और धमकाया। जब यह सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा था, तब पत्रकार ने साहस करके पूरे मामले की लिखित शिकायत सोहरामऊ थाने में दी।
पुलिस की तत्परता और मुकदमा दर्ज
सोहरामऊ थाना प्रभारी शरद कुमार ने बताया कि पत्रकार की तहरीर के आधार पर लखनापुर के ग्राम प्रधान अजय राजपूत के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस ने एफआईआर की प्रति जारी कर दी है और मामले की विवेचना शुरू कर दी है। थाना प्रभारी के अनुसार, पत्रकार की सुरक्षा को लेकर भी पुलिस सतर्क है और आगे की कार्रवाई साक्ष्यों के आधार पर की जाएगी।
पत्रकारिता पर हमला या सत्ता का दुरुपयोग?
यह मामला न केवल एक पत्रकार को धमकाने तक सीमित है, बल्कि यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर एक सीधा हमला है। अगर कोई जनप्रतिनिधि – जो कि ग्राम पंचायत का सर्वोच्च पदाधिकारी होता है – खबर से नाराज होकर पत्रकार को गाली दे, धमकाए और जान से मारने की बात कहे, तो यह गंभीर मामला बनता है। यह न केवल पत्रकार की आजादी पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि पूरे तंत्र पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है।
उन्नाव जिले में यह पहला मौका नहीं है जब पत्रकारों को खबरों की वजह से धमकियां मिली हों। पूर्व में भी कई स्थानीय पत्रकारों को सरकारी अधिकारियों, नेताओं या प्रभावशाली लोगों द्वारा प्रताड़ित किया गया है। मगर अधिकतर मामलों में या तो पुलिस कार्रवाई नहीं करती या फिर मामलों को दबा दिया जाता है।
शिकायत की कॉपी भी वायरल
पत्रकार द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर की कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इसमें साफ तौर पर बताया गया है कि किस तरीके से प्रधान ने फोन करके धमकी दी। एफआईआर में बीएनएस की गंभीर धाराएं दर्ज की गई हैं। शिकायत की स्कैन्ड कॉपी को कई स्थानीय पत्रकार संगठनों और मीडिया संस्थानों ने भी साझा किया है और पीड़ित पत्रकार के समर्थन में बयान जारी किए हैं।
पत्रकार संगठनों ने जताई नाराजगी
उन्नाव और आस-पास के जिलों में काम कर रहे पत्रकारों ने इस घटना पर रोष जताया है। कई संगठनों ने प्रशासन से मांग की है कि प्रधान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि आगे से कोई जनप्रतिनिधि पत्रकारों को इस प्रकार धमकाने का साहस न कर सके।
"अगर ग्राम प्रधान जैसे लोग पत्रकारों को धमका सकते हैं, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है,"
क्या कहते हैं कानून के जानकार?
कानून विशेषज्ञों के अनुसार, फोन पर धमकी देना और अभद्र भाषा का प्रयोग करना भारतीय दंड संहिता की धारा 504, 506, और आई.टी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत संज्ञेय अपराध है। यदि धमकी देने वाला व्यक्ति जनप्रतिनिधि है, तो यह मामला और भी अधिक गंभीर हो जाता है क्योंकि वह अपनी स्थिति का दुरुपयोग कर रहा है।
यह मामला न केवल एक पत्रकार के साथ हुई बदसलूकी का है, बल्कि यह पूरे मीडिया समुदाय को चेतावनी देने जैसा है कि सत्ता में बैठे लोग सच को उजागर करने पर बौखला सकते हैं। ऐसे में ज़रूरत है कि प्रशासन निष्पक्ष होकर कार्रवाई करे और यह सुनिश्चित करे कि पत्रकार बिना डर के अपना काम कर सकें।
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