उन्नाव
जिले के आसीवन थाना क्षेत्र अंतर्गत खरगौरा गांव में बुधवार दोपहर एक हृदयविदारक हादसा हो गया, जिसने एक ही परिवार की खुशियों को पलभर में उजाड़ दिया। धान की रोपाई के लिए खेत में मेहनत कर रहे मां-बेटे की सरकारी नलकूप से फैले करंट की चपेट में आने से मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई, जबकि उनके साथ मौजूद वृद्ध नानी बुरी तरह झुलस गईं। यह हादसा तब हुआ जब 30 वर्षीय रवि, उसकी मां माया देवी (50) और 64 वर्षीय नानी शिवरानी खेत में पानी भरने के लिए बेढ़ (नाली) खोदने का कार्य कर रहे थे। खेत की सुरक्षा के लिए चारों ओर कंटीले तार लगाए गए थे ताकि आवारा पशु फसल न खराब कर सकें। वहीं पास ही में एक सरकारी नलकूप चालू अवस्था में था। इसी नलकूप से निकले करंट ने कंटीले तारों को चपेट में ले लिया और वह करंट खेत में फैल गया, जिसके संपर्क में आने से तीनों लोग बुरी तरह झुलस गए।
हादसे के बाद परिवार में चीख-पुकार मच गई। आसपास के ग्रामीण भी दौड़कर मौके पर पहुंचे और परिजनों की मदद से तीनों को गंभीर हालत में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) सफीपुर ले जाया गया। डॉक्टरों ने जांच के बाद रवि और उसकी मां माया को मृत घोषित कर दिया, जबकि शिवरानी देवी की हालत अत्यंत गंभीर बताई जा रही है, जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल रेफर किया गया है। इस हादसे से गांव में मातम पसर गया है। ग्रामीणों ने बताया कि रवि इकलौता बेटा था और परिवार की आजीविका का मुख्य सहारा भी वही था। उसकी अकाल मौत से परिजन गहरे सदमे में हैं।
इधर सूचना मिलने के बाद आसीवन थाने की पुलिस टीम मौके पर पहुंची। थाना प्रभारी अजय कुमार सिंह ने बताया कि शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा जा रहा है और घटना की जांच की जा रही है। पुलिस के अनुसार प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि नलकूप में विद्युत फॉल्ट के चलते करंट कंटीले तारों में फैल गया, जिससे यह दुखद हादसा हुआ। जांच के दौरान नलकूप की स्थिति, बिजली लाइन और सुरक्षा इंतजामों की भी पड़ताल की जा रही है।
यह हादसा न केवल प्रशासनिक लापरवाही की ओर संकेत करता है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि ग्रामीण इलाकों में खेती के दौरान बिजली सुरक्षा को लेकर पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं किए जाते।
खेतों में खुले तार, बिना इंसुलेशन की लाइनें और सरकारी नलकूपों की अनदेखी ग्रामीणों की जान के लिए लगातार खतरा बनी हुई है। इस हादसे ने एक बार फिर से इस मुद्दे को सामने ला दिया है कि तकनीकी निगरानी और सुरक्षा उपायों के अभाव में किसान आज भी खेतों में जान जोखिम में डालकर काम करने को मजबूर हैं।
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