हापुड़ में लेखपाल की संदिग्ध मौत से मचा बवाल: राजस्व कर्मियों का फूटा गुस्सा, डीएम पर प्रताड़ना का आरोप, मुख्यमंत्री को भेजा गया ज्ञापन


हापुड़

हापुड़ जनपद में लेखपाल की हुई रहस्यमयी मौत ने पूरे जिले में राजस्व विभाग के कर्मचारियों के बीच उबाल ला दिया है। मृतक लेखपाल जिसकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होने से विभागीय कर्मचारियों में जबरदस्त आक्रोश फैल गया है। इस घटना के बाद जिले के सैकड़ों राजस्व कर्मियों ने कामकाज ठप करते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। आरोप है कि मृतक लेखपाल लगातार मानसिक प्रताड़ना का शिकार था, और उस पर उच्च अधिकारियों, विशेषकर जिलाधिकारी की ओर से अनावश्यक दबाव डाला जा रहा था, जिसके कारण वह अवसादग्रस्त हो गया और यह दुखद कदम उठाने पर मजबूर हुआ।

राजस्व कर्मियों का कहना है कि मृतक लेखपाल अपनी परेशानी कई बार अधिकारियों को बता चुका था, लेकिन उसकी बात को अनसुना कर दिया गया। ऊपर से काम का अत्यधिक दबाव, जांचों की धमकी, और प्रदर्शन को लेकर दी जा रही फटकार ने उसे पूरी तरह से तोड़ दिया था। इसी मानसिक दबाव के चलते उसने मौत को गले लगा लिया। इस दर्दनाक घटना के बाद हापुड़ समेत आस-पास के जिलों के लेखपाल, कानूनगो और अन्य राजस्व कर्मी सड़कों पर उतर आए हैं और उन्होंने डीएम पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनके निलंबन और निष्पक्ष जांच की मांग उठाई है। कर्मचारियों ने न केवल एकजुट होकर तहसील दिवस और अन्य प्रशासनिक कार्यों का बहिष्कार कर दिया है, बल्कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी एक कड़ा ज्ञापन भेजा है, जिसमें जिलाधिकारी के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की मांग की गई है।

लेखपाल संघ और राजस्व संघ के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार इस मामले को गंभीरता से नहीं लेती और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती, तो प्रदेशव्यापी हड़ताल की जाएगी और समस्त राजस्व कार्य ठप कर दिए जाएंगे। उनकी मांग है कि इस घटना की न्यायिक जांच हो, डीएम को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए और लेखपाल की मौत को आत्महत्या मानने के बजाय विभागीय उत्पीड़न के दृष्टिकोण से जांच की जाए। मृतक के परिवार को आर्थिक सहायता, नौकरी और न्याय की गारंटी दी जाए।

इस बीच प्रशासन ने मामले की जांच शुरू करने की बात कही है और पुलिस द्वारा पोस्टमार्टम रिपोर्ट समेत अन्य साक्ष्यों को एकत्र किया जा रहा है। लेकिन कर्मचारियों का यह भी आरोप है कि अब तक प्रशासन की ओर से कोई संवेदनशीलता नहीं दिखाई गई है और पीड़ित परिवार को पूरी तरह उपेक्षित रखा गया है। इस घटना ने न केवल हापुड़ जिले को झकझोर दिया है, बल्कि पूरे प्रदेश के राजस्व कर्मचारियों को भी यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि जब एक सरकारी कर्मचारी को ही न्याय और सुरक्षा नहीं मिल पा रही, तो वह आम जनता की सेवा कैसे निष्ठा से करेगा।

अब निगाहें शासन पर टिकी हैं कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस संवेदनशील प्रकरण में सख्त निर्णय लेते हैं या यह मामला भी केवल कागज़ों में दब कर रह जाएगा। लेखपाल की मौत ने पूरे सिस्टम की कार्यशैली और कर्मचारियों के हालात पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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