उन्नाव
उन्नाव जिले में इन दिनों खाद और बीज की कालाबाजारी को लेकर किसानों में गहरी नाराजगी देखने को मिल रही है। लगातार मिल रही शिकायतों और किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए जिला कृषि अधिकारी शशांक ने जिले के विभिन्न विकासखंडों में औचक निरीक्षण की कार्रवाई शुरू की। इस अभियान के तहत कृषि विभाग की टीम ने कई दुकानों पर छापेमारी करते हुए खाद और बीज के भंडारण, बिक्री, दर तालिका, स्टॉक रजिस्टर, वितरण रजिस्टर और कैश मेमो की गहन जांच की। निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि किसानों को तय दरों पर उर्वरक और बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं या नहीं। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने न केवल दस्तावेजों की जांच की, बल्कि वहां मौजूद किसानों को भी उचित दर पर उर्वरक उपलब्ध कराया, ताकि किसी भी प्रकार की कालाबाजारी की गुंजाइश न रह जाए।
हालांकि निरीक्षण के दौरान कई दुकानों पर अनियमितताएं सामने आईं। असोहा स्थित गुप्ता खाद भंडार, चंदनखेड़ा का बालाजी खाद भंडार, पुरवा स्थित इफको बाजार, और परियर में स्थित मिथिलेश बीज भंडार में स्टॉक रजिस्टर और रेट बोर्ड अद्यतन नहीं मिले, जिससे यह संदेह गहराया कि इन दुकानों पर किसानों से अधिक दाम वसूले जा रहे हैं या फिर कालाबाजारी हो रही है। इन चारों प्रतिष्ठानों को जिला कृषि अधिकारी द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और उन्हें विभागीय नियमों के अनुसार जवाब देने का निर्देश दिया गया है। वहीं सबसे बड़ी और कठोर कार्रवाई कालूखेड़ा के चौरसिया कृषि सेवा केंद्र पर की गई, जहां निरीक्षण के दौरान न केवल उर्वरक स्टॉक का विवरण गायब मिला, बल्कि बिक्री रजिस्टर और कैश मेमो भी मौजूद नहीं थे। इसके साथ ही यहाँ टैगिंग के माध्यम से एक ब्रांड के उर्वरक को दूसरे ब्रांड के नाम से बेचने की शिकायतें भी सामने आईं, जो कि कृषि विभाग के स्पष्ट नियमों का सीधा उल्लंघन है। इन गम्भीर खामियों को देखते हुए कृषि सेवा केंद्र का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
जिला कृषि अधिकारी शशांक ने सभी खाद और बीज विक्रेताओं को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि अगर किसी भी दुकान पर नियमों का उल्लंघन पाया गया तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी, जिसमें लाइसेंस का स्थायी निलंबन या रद्दीकरण भी शामिल है। उन्होंने कहा कि सभी विक्रेताओं को स्टॉक रजिस्टर, दर सूची, बिक्री रजिस्टर, कैश मेमो सहित सभी जरूरी दस्तावेज समय-समय पर अद्यतन रखने होंगे। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी हालत में एक ब्रांड के उर्वरक को टैगिंग के जरिए दूसरे ब्रांड के रूप में बेचना सख्त वर्जित है। यह किसानों के साथ धोखाधड़ी है और इस पर किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा।
जिला प्रशासन की इस कार्यवाही से एक ओर जहां दुकानदारों में हड़कंप मच गया है, वहीं दूसरी ओर किसान वर्ग में राहत और संतोष की भावना देखी जा रही है, जिन्हें उम्मीद है कि अब उन्हें उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण खाद और बीज समय पर उपलब्ध हो सकेंगे।
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