कई कर्मचारी जा चुके हैं जेल, कॉलेज पर पहले ही हो चुकी है कार्रवाई, पुलिस को नहीं मिले दाखिले के दस्तावेज
कानपुर: एक बार फिर शिक्षा क्षेत्र की साख को झटका लगा है। चर्चित सिंह लॉ कॉलेज से एलएलबी (LLB) की फर्जी डिग्री लेने के मामले में अब भाजपा नेता दीनू उपाध्याय का नाम सामने आया है। जिस कॉलेज से उन्होंने डिग्री ली, वह दागों से भरा हुआ है—कई कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है, कुछ जेल जा चुके हैं और कॉलेज दो साल तक बंद रहा।
क्या है पूरा मामला?
दीनू उपाध्याय पहले से ही सिंह इंटर कॉलेज लोहता में भर्ती घोटाले में आरोपी हैं। अब सामने आया है कि उन्होंने LLB की डिग्री उसी लॉ कॉलेज से प्राप्त की थी, जो शिक्षा माफियाओं के गठजोड़ और फर्जीवाड़े के लिए बदनाम है। पुलिस द्वारा जब उनके दाखिले और डिग्री से जुड़े दस्तावेज माँगे गए, तो कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हो सका।
44.4% अंकों पर नहीं हो सकता एलएलबी में दाखिला
प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार, LLB में प्रवेश के लिए कम से कम 45% अंक आवश्यक होते हैं, जबकि दीनू उपाध्याय के पास स्नातक में सिर्फ 44.4% अंक हैं। ऐसे में उनका दाखिला नियमों के विरुद्ध माना जा रहा है।
एसीपी कोतवाली आर्यराज सिंह ने पुष्टि की कि “इस विषय में जांच चल रही है। यदि नियमों के विरुद्ध कोई प्रमाण मिलता है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
कॉलेज का इतिहास रहा विवादित
- सिंह लॉ कॉलेज पर पहले ही फर्जीवाड़े के आरोप लग चुके हैं
- कई कर्मचारी जेल जा चुके हैं और कुछ निलंबित हैं
- दो साल तक कॉलेज बंद रहा
- छात्रों को बिना योग्यता प्रवेश देने के आरोप भी सिद्ध हुए हैं
पुलिस जांच में बढ़ी हलचल
पुलिस ने अब सिंह लॉ कॉलेज से जुड़े सभी पुराने दाखिलों की जांच शुरू कर दी है। फोकस उन लोगों पर है जिन्होंने कम अंकों के बावजूद कानून की डिग्री हासिल की और अब विभिन्न पदों पर हैं।
इस पूरे घटनाक्रम से यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या ऐसे ही "डिग्रीधारी" लोग अब न्याय और प्रशासन का हिस्सा बन चुके हैं?
उत्तर प्रदेश में एक बार फिर शिक्षा और डिग्री सिस्टम पर बड़ा सवाल खड़ा हुआ है। यदि जांच में दीनू उपाध्याय की डिग्री फर्जी साबित होती है, तो न केवल उनके खिलाफ कार्रवाई होगी, बल्कि ऐसे कॉलेजों और शिक्षा माफियाओं पर भी शिकंजा कसा जाएगा जो छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।