पटना। बिहार की राजनीति में शनिवार को एक बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला, जब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी से छह वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया। यही नहीं, लालू यादव ने उन्हें परिवार से भी अलग करने की औपचारिक घोषणा कर दी।
यह निर्णय तेज प्रताप यादव के विवादित सोशल मीडिया पोस्ट और हालिया व्यक्तिगत गतिविधियों के चलते लिया गया है, जो पार्टी की छवि को नुकसान पहुँचा रही थीं। तेज प्रताप ने एक फेसबुक पोस्ट में 12 साल पुराने प्रेम संबंध का खुलासा किया था, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। बाद में उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उनका अकाउंट हैक हो गया था, लेकिन पार्टी नेतृत्व इस स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं हुआ।
लालू यादव ने अपने आधिकारिक बयान में कहा,
“हमारे परिवार और पार्टी की पहचान सामाजिक न्याय, नैतिकता और अनुशासन से है। तेज प्रताप का व्यवहार इन मूल्यों के विपरीत रहा है। पार्टी की गरिमा और सार्वजनिक आस्था को बनाए रखने के लिए यह कठोर निर्णय आवश्यक था।”
इस घटनाक्रम के बाद तेज प्रताप यादव ने अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि वह इस फैसले से “आहत लेकिन शांत” हैं।
तेजस्वी यादव, जो अब पार्टी की रणनीति के प्रमुख केंद्र हैं, ने भी इस निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि
“राजद एक संगठन है, कोई निजी संपत्ति नहीं। पार्टी अनुशासन से ऊपर कोई नहीं है।”
अब सबकी निगाहें तेज प्रताप यादव के अगले कदम पर टिकी हैं—क्या वह एक नया राजनीतिक मंच बनाएंगे या राजनीति से दूरी बनाएंगे?