दिल्ली
देश की राजधानी दिल्ली में एक बार फिर अपराधियों के हौसले बुलंद नजर आए, जब हाई सिक्योरिटी माने जाने वाले चाणक्यपुरी इलाके में तमिलनाडु से कांग्रेस सांसद सुधा रामकृष्णन दिन-दहाड़े स्नैचिंग की शिकार हो गईं। सोमवार सुबह जब वह रोज की तरह मॉर्निंग वॉक पर निकली थीं, तभी बाइक सवार दो अज्ञात बदमाशों ने उनके गले से सोने की चेन झपट ली और पलभर में फरार हो गए। यह घटना न केवल सांसद के लिए एक दर्दनाक अनुभव रही, बल्कि इसने देश की राजधानी की कानून व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं।
सांसद सुधा रामकृष्णन ने मीडिया से बातचीत में अपनी आपबीती साझा करते हुए बताया कि घटना अचानक इतनी तेज हुई कि उन्हें संभलने तक का मौका नहीं मिला। उन्होंने कहा, "मैं हमेशा मॉर्निंग वॉक के लिए चाणक्यपुरी के इस इलाके में जाती हूं, क्योंकि यह राजनयिक मिशनों और सरकारी भवनों से घिरा हुआ, बेहद सुरक्षित माना जाता है। लेकिन जिस तरह से बदमाशों ने मेरे गले से चेन झपटने के लिए मेरे कंधे को झटका दिया, उससे मुझे शारीरिक चोट भी आई। यह पूरी घटना मुझे अंदर से झकझोर गई है।"
सुधा रामकृष्णन ने बताया कि उन्हें लगा था कि इतनी सुरक्षा के बीच किसी भी आम नागरिक या खास शख्स के साथ ऐसा नहीं हो सकता, लेकिन जब खुद उनके साथ यह घटना घटी तो उन्होंने महसूस किया कि दिल्ली में अब कोई भी महफूज नहीं है। उन्होंने आगे कहा, "देश की राजधानी में महिलाएं कैसे सुरक्षित रहेंगी, जब खुद एक सांसद खुलेआम लूट का शिकार हो रही है। यह सोचकर डर लग रहा है कि आम नागरिकों की स्थिति क्या होगी?"
इस घटना के बाद कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने सांसद सुधा को फोन करके उनका हालचाल जाना और उन्हें ढांढस बंधाया। साथ ही पार्टी के कई अन्य नेताओं ने भी इस वारदात की कड़ी निंदा की है और दिल्ली की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। सुधा ने कहा कि यह कोई पहली वारदात नहीं है, बल्कि दिल्ली में इस तरह की घटनाएं आम होती जा रही हैं। लेकिन इस बार जब बात एक सांसद की सुरक्षा पर आ गई है, तो यह देशभर के लिए एक चेतावनी की तरह है।
चाणक्यपुरी जैसे वीआईपी क्षेत्र में हुई यह घटना इस बात को उजागर करती है कि दिल्ली पुलिस की गश्त और सुरक्षा व्यवस्था केवल दिखावटी बनकर रह गई है। जहां एक ओर देशभर में महिला सुरक्षा को लेकर सरकार दावे करती है, वहीं दूसरी ओर राजधानी में ही महिलाएं दिन-दहाड़े लूटी जा रही हैं। सुधा रामकृष्णन ने मांग की कि इस मामले में तत्काल और सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि अपराधियों को सजा मिले और आम जनता का भरोसा पुलिस पर फिर से बहाल हो सके।
इस वारदात ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि चाहे कितनी भी हाई सिक्योरिटी क्यों न हो, अगर कानून का डर अपराधियों में नहीं है, तो सुरक्षा केवल नाम मात्र की चीज बनकर रह जाती है। संसद सदस्य से लेकर आम नागरिक तक, सब असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। अब यह जरूरी हो गया है कि केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से लें और राजधानी की सड़कों को वास्तव में सुरक्षित बनाने के लिए ठोस कदम उठाएं।
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