भारतीय डाक विभाग ने रजिस्ट्री सेवा को किया बंद, 1 सितंबर से लागू होंगे नए नियम


भारतीय डाक सेवा (India Post), जो दशकों से देश के नागरिकों के जीवन का अभिन्न हिस्सा रही है, अब एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है। विभाग ने हाल ही में यह घोषणा की है कि वह अपनी 50 वर्षों से अधिक पुरानी 'रजिस्ट्री सेवा' (Registered Post Service) को समाप्त कर रहा है। यह निर्णय 1 सितंबर 2025 से प्रभावी होगा। इसके तहत अब रजिस्ट्री एक स्वतंत्र डाक सेवा के रूप में उपलब्ध नहीं रहेगी, बल्कि उसे स्पीड पोस्ट (Speed Post) में विलय कर दिया जाएगा।

 एक युग का अंत

रजिस्टर्ड पोस्ट न केवल एक डाक सेवा थी, बल्कि यह लोगों के विश्वास और सुरक्षा की प्रतीक मानी जाती थी। सरकारी दफ्तरों से लेकर कोर्ट-कचहरियों, स्कूलों, कॉलेजों, बैंकिंग और बीमा सेक्टर तक — हर जगह रजिस्ट्री को कानूनी और आधिकारिक संप्रेषण के लिए प्रयोग किया जाता था। यह सेवा उन लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण रही है जो गांवों, कस्बों या दूरदराज के इलाकों में रहते हैं, जहां डिजिटल सेवाएं अभी भी सीमित हैं।

 क्यों बंद की गई रजिस्ट्री सेवा?

डाक विभाग ने इसके पीछे कई कारण बताए हैं:

  1. मानव संसाधन की कमी (Manpower Shortage): वर्षों से डाक विभाग में कर्मचारियों की संख्या कम हो रही है। इससे पारंपरिक सेवाओं को संभालना मुश्किल हो गया है।
  2. तकनीकी आधुनिकीकरण: आज के डिजिटल युग में ग्राहक तेज, ट्रैक योग्य और ऑनलाइन अपडेट वाली सेवाओं को प्राथमिकता दे रहे हैं। स्पीड पोस्ट सेवा इन मानकों पर अधिक खरी उतरती है।
  3. रजिस्ट्री की घटती मांग: विभाग के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2011–12 में जहाँ करीब 24 करोड़ रजिस्टर्ड आर्टिकल्स भेजे गए थे, वहीं यह संख्या 2019–20 तक घटकर 18.46 करोड़ रह गई।
  4. सेवाओं का एकीकरण (Service Integration): सरकार अब डाक सेवाओं को सरल, एकीकृत और ग्राहक-केंद्रित बनाना चाहती है।

 अब क्या विकल्प होगा?

1 सितंबर 2025 से यदि कोई व्यक्ति रजिस्ट्री की तरह सेवा चाहता है, तो उसे स्पीड पोस्ट का विकल्प चुनना होगा। हालांकि स्पीड पोस्ट में अब कुछ वैल्यू-एडेड फीचर्स जोड़े जाएंगे जैसे:

  • रिसीवर का सिग्नेचर
  • डिलीवरी का प्रमाण (Proof of Delivery)
  • एड्रेस-स्पेसिफिक डिलीवरी
  • ऑनलाइन ट्रैकिंग और SMS अपडेट

इन सेवाओं का उपयोग अतिरिक्त शुल्क पर किया जा सकेगा। यानी पहले की तरह सस्ती रजिस्ट्री अब नहीं मिलेगी, पर स्पीड पोस्ट से उसी तरह की सुरक्षा ली जा सकेगी — वो भी तेज़ डिलीवरी के साथ।

 आम जनता की प्रतिक्रिया

इस फैसले से जहां डाक विभाग की सेवाएं आधुनिक होंगी, वहीं आम जनता खासकर बुज़ुर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों के लोग इस निर्णय से थोड़ा नाराज़ भी हैं।
उनका कहना है कि रजिस्ट्री सेवा भरोसेमंद, किफायती और सरल थी। स्पीड पोस्ट में शुल्क अधिक है और इसके नियम समझने में तकनीकी ज्ञान की ज़रूरत होती है।
वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि रजिस्ट्री जैसी पारंपरिक सेवाओं को बंद करना संवेदनात्मक जुड़ाव को तोड़ने जैसा है।

 सरकार का तर्क

भारत सरकार और डाक विभाग का मानना है कि अब समय आ गया है कि डाक सेवाएं भी वैश्विक मानकों के अनुरूप बनें। स्पीड पोस्ट में अधिक डिजिटलीकरण, तेज रफ्तार, और ट्रांसपेरेंसी है, जिससे ग्राहकों का अनुभव बेहतर होगा।
इसके अलावा, इस कदम से डाक विभाग को संचालन लागत कम करने और कार्य कुशलता बढ़ाने में मदद मिलेगी।

 आगे क्या?

डाक विभाग अब अपनी अन्य सेवाओं को भी पुनर्गठित करने की दिशा में काम कर रहा है। भविष्य में:

  • EMO (Electronic Money Order) सेवा को भी पूरी तरह डिजिटाइज़ किया जा सकता है।
  • पोस्टल बैंकिंग को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल डाक सेवाएं सशक्त होंगी।

 भारतीय डाक विभाग का यह निर्णय भले ही कुछ लोगों को भावनात्मक रूप से असहज लग रहा हो, लेकिन इसे तकनीकी प्रगति और प्रशासनिक दक्षता के रूप में देखा जाना चाहिए। रजिस्ट्री सेवा का बंद होना एक युग का अंत जरूर है, लेकिन स्पीड पोस्ट जैसे नए और स्मार्ट विकल्पों के साथ डाक सेवा को भविष्य की जरूरतों के मुताबिक ढालने की यह एक साहसिक पहल है।

अब देखना यह होगा कि आम जनता, विशेषकर ग्रामीण भारत, इस बदलाव को कितनी सहजता से स्वीकार करता है।

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