ʺमहाराष्ट्र में अंबानी से जुड़ी कंपनियों पर ED की कार्रवाई: अजाड़ी ग्रुप के 50 से अधिक व्यक्तियों के खिलाफ जांच शुरूʺ

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बहुचर्चित और बड़े स्तर की कार्रवाई करते हुए अजाड़ी ग्रुप की कंपनियों और उनके साथ जुड़े 50 से अधिक व्यक्तियों के खिलाफ गंभीर आर्थिक अपराधों के अंतर्गत जांच शुरू कर दी है। इस पूरे मामले में धनशोधन (Money Laundering) और ऋण धोखाधड़ी (Loan Fraud) जैसे संगीन आरोप शामिल हैं, जिन्हें लेकर अब वित्तीय दुनिया में खलबली मच गई है। प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि अजाड़ी ग्रुप की कुछ कंपनियों ने बड़े स्तर पर बैंकों से लिए गए ऋण का दुरुपयोग किया और इन पैसों को फर्जी कंपनियों के माध्यम से दूसरी जगहों पर स्थानांतरित किया गया। इन कंपनियों को "शेल कंपनियां" बताया जा रहा है, जिनका कोई वास्तविक व्यवसायिक संचालन नहीं था, बल्कि वे सिर्फ पैसे को एक से दूसरी जगह घुमाने के लिए बनाई गई थीं।

ईडी सूत्रों के अनुसार, इस ग्रुप से संबंधित कई कंपनियों के लेन-देन देश के सबसे बड़े कॉर्पोरेट हाउस – रिलायंस ग्रुप – के व्यावसायिक नेटवर्क से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े पाए गए हैं। हालांकि अभी तक मुकेश अंबानी या उनकी कंपनियों पर कोई प्रत्यक्ष आरोप नहीं लगाया गया है, लेकिन जिस तरह से इन कंपनियों के वित्तीय लेनदेन की कड़ियाँ रिलायंस समूह की सहायक इकाइयों से जुड़ती नजर आ रही हैं, उससे यह पूरा मामला बेहद संवेदनशील और हाई प्रोफाइल बन गया है।

इस मामले में ईडी ने महाराष्ट्र के कई प्रमुख शहरों – मुंबई, पुणे, ठाणे, और नागपुर में छापेमारी की है। इन छापों के दौरान अधिकारियों ने भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक डाटा, बैंक स्टेटमेंट्स, फर्जी दस्तावेज, मोबाइल फोन, हार्ड डिस्क, और लेन-देन से जुड़ी डिजिटल फाइलें जब्त की हैं, जिनकी विस्तृत जांच की जा रही है। जांच एजेंसी ने कुछ बैंक अधिकारियों, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, दलालों और कंपनी निदेशकों से भी पूछताछ की है। बताया जा रहा है कि कई संदिग्ध व्यक्तियों को समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया गया है, और कुछ की गिरफ्तारी की संभावना भी बन रही है।

इस पूरे मामले में सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि बैंकों से लिए गए करोड़ों रुपये के कर्ज का उपयोग कंपनियों ने किसी व्यापार या प्रोजेक्ट में न करते हुए उसे पैसे के गोरखधंधे और कथित संपत्ति खरीदारी में लगाया। सूत्रों का यह भी कहना है कि कुछ रकम को हवाला और अंतरराष्ट्रीय ट्रांजैक्शन के जरिये विदेशों में भी ट्रांसफर किया गया, जो कि विदेशी मुद्रा कानूनों का खुला उल्लंघन है।

अब जबकि इस जांच में देश के एक प्रमुख औद्योगिक घराने का नाम अप्रत्यक्ष रूप से सामने आ रहा है, यह पूरा मामला न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से बल्कि राजनीतिक और कॉर्पोरेट गठजोड़ की दृष्टि से भी अत्यधिक संवेदनशील बन गया है। अगर जांच की दिशा अंबानी समूह की ओर और गहराई से मुड़ती है, तो यह देश की अब तक की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट जांचों में से एक साबित हो सकती है।

इस मामले पर फिलहाल रिलायंस ग्रुप की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। लेकिन देश की आर्थिक और राजनीतिक दुनिया इस घटनाक्रम पर पैनी नजर रखे हुए है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि अंबानी समूह का कोई भी अधिकारी या कंपनी इसमें लिप्त पाई जाती है, तो इससे न केवल समूह की साख पर असर पड़ेगा, बल्कि सरकार और जांच एजेंसियों की निष्पक्षता पर भी प्रश्नचिह्न लग सकते हैं।

ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले दिनों में ईडी की जांच किस दिशा में जाती है, और क्या यह मामला सिर्फ अजाड़ी ग्रुप तक सीमित रहता है या फिर इसके तार देश के सबसे प्रभावशाली कॉर्पोरेट घरानों तक भी पहुंचते हैं। हर पहलु से यह एक बेहद संवेदनशील और ऐतिहासिक आर्थिक अन्वेषण बन सकता है।

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