"उन्नाव में बरसात बनी आफत: पालिकाध्यक्ष के घर के बाहर ही बह गई सफाई व्यवस्था की सच्चाई!"




UNNAONEWS 

उन्नाव शहर में गुरुवार को हुई हल्की बारिश ने नगर पालिका प्रशासन की सफाई व्यवस्था और दावों की पोल पूरी तरह खोलकर रख दी। वर्षों से शहर के सौंदर्यीकरण, विकास और सफाई को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाले स्थानीय निकाय की असलियत तब सामने आ गई, जब खुद नगर पालिकाध्यक्ष के आवास के सामने का इलाका कीचड़, गंदगी और जलभराव से बेहाल हो गया। वार्ड नंबर 22 सिविल लाइन, जो न केवल एक पॉश कॉलोनी मानी जाती है, बल्कि नगर पालिकाध्यक्ष का प्रतिनिधित्व क्षेत्र भी है, वहां बारिश के कुछ घंटों के भीतर गलियों में गंदा पानी भर गया, नालियां उफन पड़ीं और दुर्गंध के कारण लोग अपने ही घरों में कैद होकर रह गए। सड़कों पर इस कदर कीचड़ था कि पैदल चलना भी जोखिम भरा लग रहा था। यह दृश्य केवल एक मोहल्ले की दुर्दशा नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की सड़न का परिचायक है।



स्थानीय लोगों ने बताया कि बरसात शुरू होते ही उनकी दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो जाती है। नालियों की दशा इतनी खराब है कि जरा सी बारिश में वह उलटकर गलियों में सड़ांध और गंदगी फैला देती हैं। पानी निकासी का कोई ठोस प्रबंध नहीं है, जिससे घरों के सामने ही पोखर बन जाते हैं। दुकानदारों और दफ्तर जाने वालों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग – सभी इस समस्या से परेशान हैं, लेकिन जिम्मेदार अफसर और प्रतिनिधि आंखें मूंदे बैठे हैं। जब लोगों ने यह देखा कि खुद पालिकाध्यक्ष के घर के बाहर भी जलभराव हो गया है, तो सवाल उठने लगे कि अगर उनके ही क्षेत्र का यह हाल है, तो बाकी वार्डों में लोग कैसे जी रहे होंगे? सोशल मीडिया पर इस क्षेत्र की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें सड़कों पर बहते नाले, कीचड़ और कूड़े के अंबार साफ दिख रहे हैं। इससे यह स्पष्ट है कि नगर पालिका की ओर से नियमित सफाई या नाली व्यवस्था का कोई प्रभावी कार्य नहीं हो रहा है।


विपक्षी दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है। उनका कहना है कि जब सत्ता पक्ष के नेता ही अपने क्षेत्र में व्यवस्था सुधार नहीं पा रहे, तो इससे बड़ी विफलता और क्या हो सकती है? लोगों ने यह सवाल भी उठाया है कि क्या नगर पालिका केवल चुनाव के समय सक्रिय होती है? क्या सफाई व्यवस्था केवल फाइलों और कागजों तक ही सीमित रह गई है? “जहां-जहां भाजपा सरकार, वहां-वहां जनता बेहाल” जैसी टिप्पणियां अब आम लोगों की बातचीत में सुनाई दे रही हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जनता अब निराश और आक्रोशित है। बरसात से पहले नालियों की सफाई और जलनिकासी का काम अगर समय पर किया जाता, तो यह हालात न बनते। लेकिन हकीकत यही है कि बजट पारित होने, टेंडर छपने और वर्क आर्डर निकलने के बाद भी धरातल पर कुछ नहीं दिखता।

स्थानीय निवासियों ने प्रशासन और नगर पालिका से इस स्थिति पर तत्काल संज्ञान लेने और स्थायी समाधान निकालने की मांग की है। लोगों का कहना है कि हर साल मानसून से पहले वही पुराने वादे, वही औपचारिक निरीक्षण और फिर वही नतीजा—गंदगी, जलभराव और बीमारियों का भय। अगर हल्की बारिश में ही पूरा वार्ड डूबने लगे तो आने वाले भारी बारिश के दिनों में शहर की हालत क्या होगी, यह सोचकर ही लोग सहम उठते हैं। नगर पालिका प्रशासन से नालियों की समयबद्ध सफाई, जलनिकासी की वैकल्पिक व्यवस्था, नियमित कचरा उठान और गली-मोहल्लों की मरम्मत जैसे ज़मीनी कार्य करने की मांग की जा रही है। 

यदि समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो यह जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता रहेगा और शहरवासियों की नाराजगी एक आंदोलन का रूप भी ले सकती है।

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