गाजियाबाद
आधुनिक भारत की प्रगति की पहचान बन चुका दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, जो राजधानी को मेरठ से जोड़ने वाला एक तेज़, सीधा और अत्याधुनिक राजमार्ग है, एक बार फिर रफ्तार के कहर का गवाह बन गया। सोमवार सुबह एक ट्राइबर कार इस एक्सप्रेसवे पर गाजियाबाद के आईपीईएम कॉलेज के समीप अनियंत्रित होकर डिवाइडर से जा टकराई। भीषण टक्कर में कार पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और हादसे में 40 वर्षीय कमल नामक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि सात अन्य लोग — जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं — गंभीर रूप से घायल हो गए। मृतक उत्तराखंड के चमोली जिले के काकजा गांव का निवासी था।
उत्तराखंड से चला कारवां नहीं पहुंच सका मंज़िल तक
हादसे का शिकार हुई यह कार उत्तराखंड के चमोली जिले से फरीदाबाद की ओर जा रही थी। कार में कुल आठ लोग सवार थे — जिनमें मृतक कमल के अलावा चमोली निवासी मोहन, उनकी पत्नी नीमा, बेटा रितिक, और दिल्ली के मयूर विहार निवासी दीपक, उनकी पत्नी लक्ष्मी, बेटा ऋषभ और बेटी तनुजा शामिल थे। यात्रा सामान्य रूप से चल रही थी, लेकिन जैसे ही वाहन गाजियाबाद की सीमा में प्रवेश कर आईपीईएम कॉलेज के सामने पहुंचा, एकाएक चालक कमल का वाहन से नियंत्रण हट गया और कार डिवाइडर से टकरा गई। टक्कर इतनी ज़ोरदार थी कि कार का अगला हिस्सा बुरी तरह से चकनाचूर हो गया और उसमें सवार लोग अंदर ही फंस गए।
तेज़ रफ्तार, एक लापरवाही और उजड़ गया परिवार
मौके पर मौजूद चश्मदीदों का कहना है कि कार अत्यधिक तेज रफ्तार में थी। एक्सप्रेसवे पर कई वाहन 100 से 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलते हैं, और ऐसे में एक छोटी सी चूक भी जानलेवा साबित हो सकती है। कमल ने संभवतः किसी गड्ढे या कट से बचने की कोशिश की होगी, लेकिन नियंत्रण बिगड़ने से कार सीधे डिवाइडर से टकरा गई। हादसे के बाद आसपास के लोगों और अन्य वाहन चालकों ने तत्परता दिखाते हुए पुलिस को सूचना दी और घायलों की मदद करने की कोशिश की।
पुलिस और प्रशासन की तत्परता, लेकिन एक जान नहीं बच सकी
घटना की सूचना मिलते ही क्रॉसिंग रिपब्लिक थाना पुलिस मौके पर पहुंची और कार में फंसे घायलों को निकाल कर नजदीकी अस्पताल पहुंचाया। हालांकि, गाड़ी चला रहे कमल की हालत बेहद गंभीर थी और इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और फिर परिजनों को सौंप दिया। कार को पुलिस ने कब्जे में ले लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। अन्य घायलों की हालत स्थिर बताई जा रही है, लेकिन कुछ को गहरी चोटें आई हैं और उनकी निगरानी की जा रही है।
सड़क पर नहीं, दिलों में गूंजा हादसे का शोर
कमल की मौत की खबर जैसे ही उनके गांव पहुंची, वहां मातम पसर गया। एक साधारण यात्रा जो परिवार के बीच संबंधों को मजबूत करने और खुशियों का जरिया बननी थी, वह एक ऐसा हादसा बन गई जिसने पूरे परिवार को हिला कर रख दिया। कमल न सिर्फ एक पिता, पति और बेटे थे, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक और प्रिय मित्र भी थे। उनकी असमय मृत्यु ने न सिर्फ उनके परिवार को, बल्कि पूरे गांव और समाज को गमगीन कर दिया है।
अस्पतालों में दर्द, घरों में सन्नाटा, और पुलिस जांच में जुटी
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि रफ्तार और लापरवाही का मेल कितना घातक हो सकता है। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि दुर्घटना का कारण ड्राइवर की गलती थी या कार की यांत्रिक विफलता। फिलहाल, तकनीकी जांच के लिए वाहन को फॉरेंसिक टीम को सौंपने की तैयारी है। वहीं, दुर्घटनाग्रस्त कार में सवार बाकी लोगों के बयान भी दर्ज किए जाएंगे ताकि यह स्पष्ट हो सके कि दुर्घटना किन परिस्थितियों में घटी।
सवाल जो पीछे छूट गए: क्या एक्सप्रेसवे पर पर्याप्त सुरक्षा इंतज़ाम हैं?
इस घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे को देश के सबसे सुरक्षित और व्यवस्थित राजमार्गों में गिना जाता है, फिर भी लगातार हो रहे हादसे यह संकेत दे रहे हैं कि रफ्तार और ट्रैफिक अनुशासन के मोर्चे पर अभी भी सुधार की आवश्यकता है। क्या एक्सप्रेसवे पर पर्याप्त गति-नियंत्रण संकेतक हैं? क्या हर कुछ किलोमीटर पर ट्रैफिक पेट्रोलिंग हो रही है? और क्या यात्रियों को यात्रा से पूर्व सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जा रहा है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो इस घटना के बाद प्रशासन और समाज दोनों के लिए महत्वपूर्ण बन जाते हैं।
सड़क पर सावधानी ही सुरक्षा है
इस घटना के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि सड़क पर थोड़ी सी असावधानी, एक गलत निर्णय या तेज रफ्तार एक पूरे परिवार को बर्बादी के कगार पर ला सकती है। प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे यात्रा करते समय ट्रैफिक नियमों का पालन करें, सीट बेल्ट का उपयोग करें, तेज रफ्तार से बचें और गाड़ी चलाते समय सतर्क रहें।
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