ʺखेत में खेल रहा था मयंक... झाड़ियों से आई मौत!ʺ

बिजनौर

उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को स्तब्ध और आक्रोशित कर दिया है। जिले के एक गांव में मात्र दो साल के मासूम बच्चे की जान एक तेंदुए ने उस समय ले ली, जब वह अपने भाई के साथ खेतों के पास खेल रहा था। मासूम मयंक रोज की तरह अपने घर से कुछ दूरी पर स्थित खेत में अपने बड़े भाई के साथ खेल रहा था। इलाके में खेतों और झाड़ियों के आसपास तेंदुए के देखे जाने की खबरें पहले भी आती रही थीं, लेकिन शायद किसी ने यह कल्पना नहीं की थी कि वह इतना भयानक रूप ले सकता है।

घटना के समय अचानक एक तेंदुआ झाड़ियों से निकल कर आया और बिजली की गति से मयंक पर झपटा। मंजर इतना भयावह था कि उसके बड़े भाई को कुछ समझ ही नहीं आया। तेंदुए ने बच्चे को मुंह में दबोच लिया और उसे घसीटते हुए खेतों की ओर भागने लगा। भाई ने यह नजारा देखा तो वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा और घर की ओर भागा। शोर सुनकर मयंक के पिता तुरंत दौड़ते हुए मौके पर पहुंचे और उन्होंने देखा कि तेंदुआ उनके बेटे को लेकर दूर झाड़ियों की ओर भाग रहा है। पिता ने हिम्मत दिखाते हुए शोर मचाया, जिससे आसपास के लोग भी इकठ्ठा हो गए। उन्होंने लाठी-डंडे लेकर तेंदुए के पीछे दौड़ने की कोशिश की, लेकिन वह घने जंगल की ओर भाग चुका था।

ग्रामीणों की मदद से मयंक को कुछ देर बाद खोजा गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। तेंदुए के नुकीले दांतों और पंजों से घायल मयंक की मौके पर ही मौत हो चुकी थी। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं। पूरे गांव में मातम छा गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। यह सिर्फ एक मासूम की मौत नहीं थी, बल्कि एक पूरे परिवार का उजड़ जाना था। जिस घर में बच्चे की किलकारियां गूंजा करती थीं, अब वहां सन्नाटा पसरा हुआ है।

इस हृदयविदारक घटना के बाद पूरे गांव में आक्रोश फैल गया। ग्रामीणों ने वन विभाग की घोर लापरवाही पर नाराजगी जताई। उनका कहना है कि कई बार तेंदुए की मौजूदगी की सूचना दी गई थी, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। गुस्साए ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि वन्य जीवों से सुरक्षा के लिए गांव के आसपास फेंसिंग, गश्त और कैमरों की व्यवस्था की जाए। उन्होंने यह भी मांग की कि पीड़ित परिवार को सरकारी सहायता प्रदान की जाए और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई हो।

यह घटना न केवल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि मानव और वन्य जीवों के बीच बढ़ता संघर्ष अब और भी घातक रूप लेता जा रहा है। तेजी से बढ़ता शहरीकरण, जंगलों की कटाई और जानवरों के प्राकृतिक आवासों का नाश इन घटनाओं के मूल कारण हैं। भूखे और बेघर हो चुके जंगली जानवर अब इंसानी बस्तियों की ओर रुख करने लगे हैं, जिससे ऐसी दिल दहला देने वाली घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।

इस घटना के बाद प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश तो दे दिए हैं और वन विभाग की टीम तेंदुए की तलाश में जुटी है, लेकिन सवाल यह है कि क्या ऐसी घटनाओं से पहले कोई सख्त कदम नहीं उठाया जा सकता था? क्या हर बार किसी मासूम की बलि के बाद ही सरकारी मशीनरी जागेगी? यह सवाल सिर्फ बिजनौर के एक गांव का नहीं है, बल्कि पूरे देश के उन तमाम ग्रामीण इलाकों का है, जो वन्यजीवों के साए में जीने को मजबूर हैं।

अब जरूरत है कि सरकार और वन विभाग मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दीर्घकालिक और ठोस नीति बनाएं। ग्रामीण इलाकों में वन्यजीवों की निगरानी बढ़ाई जाए, बच्चों की सुरक्षा के लिए खेतों के आसपास बाड़बंदी की जाए, और लोगों को ऐसे खतरों के प्रति जागरूक किया जाए। वरना, ऐसी दर्दनाक घटनाएं बार-बार होती रहेंगी, और हम हर बार सिर्फ अफसोस ही करते रह जाएंगे।

#bijnore #up


📞 हमसे संपर्क करें:
आपके पास कोई खबर, सुझाव या शिकायत है? तो हमसे जुड़िए – आपकी बात हमारे लिए महत्वपूर्ण है।
📧 ईमेल: sonofunnao@gmail.com
📱 फोन: +91-9044000032
💬 हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें: https://chat.whatsapp.com/H4qfujCjmpIIb7SsuTWcI7
📝 खबर भेजिए, आवाज़ बनिए – क्योंकि आपकी बात मायने रखती है।

Post a Comment

Previous Post Next Post