Unnao
उन्नाव जनपद के सोहरामऊ थाना क्षेत्र अंतर्गत महनौरा गांव में रविवार की रात एक दिल दहला देने वाली घटना घटी, जिसमें घरेलू कलह के चलते एक युवक ने आत्महत्या करने का प्रयास किया। लेकिन समय रहते पुलिस की मुस्तैदी और मानवीय संवेदनशीलता के चलते उसकी जान बच गई। युवक की पहचान अनूप सिंह (30 वर्ष) पुत्र मकरध्वज के रूप में हुई है, जो नशे की हालत में घर पहुंचा था। घर आते ही उसका पत्नी से किसी बात को लेकर जोरदार झगड़ा हो गया। जब अनूप के पिता ने उसे समझाने और डांटने का प्रयास किया, तो वह और अधिक गुस्से में आ गया और खुद को एक कमरे में बंद कर लिया। इसके बाद उसने घर की छत पर लगे पंखे से पत्नी की साड़ी का फंदा बनाकर आत्महत्या का प्रयास किया।
परिजनों ने जब अनूप को काफी देर तक कमरे से बाहर नहीं आते देखा और उसके चीखने-चिल्लाने की आवाजें बंद हो गईं, तो उन्हें अनहोनी की आशंका हुई। खिड़की से झांककर देखा गया तो अंदर का दृश्य बेहद भयावह था—अनूप साड़ी के फंदे से लटका हुआ नजर आया। उसके बाद घरवालों ने तत्काल डायल 112 पर कॉल कर पुलिस से मदद मांगी। सूचना मिलते ही पीआरवी वाहन में तैनात सब कमांडर आरक्षी अखिलेश यादव और पायलट रामपाल सिंह कुछ ही मिनटों में मौके पर पहुंच गए। उन्होंने बिना देरी किए गांव के लोगों की मदद से कमरे का दरवाजा तोड़ा और तुरंत फंदे से लटके युवक के पैरों को पकड़कर उसका वजन ऊपर उठाया ताकि उसकी सांसें बंद न हों। फिर तेजी से फंदा खोला और अनूप को नीचे उतारा गया।
घटना के बाद पुलिस टीम ने उसे अपनी गाड़ी से तत्काल सीएचसी नवाबगंज पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए जिला अस्पताल रेफर कर दिया। फिलहाल चिकित्सकों के अनुसार उसकी हालत अब स्थिर है। परिजनों ने बताया कि अनूप पहले भी मानसिक तनाव के चलते आत्महत्या की कोशिश कर चुका है। इस घटना के बाद गांव में भी भारी हड़कंप मच गया और ग्रामीणों ने पुलिस की कार्यशैली की सराहना की। डायल 112 की टीम द्वारा समय पर की गई इस मानवीय कार्रवाई की प्रशंसा सोशल मीडिया पर भी हो रही है। डायल 112 के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर पीआरवी टीम की वीरता और संवेदनशीलता की तारीफ करते हुए उन्हें ‘रियल हीरो’ बताया गया है।
यह घटना सिर्फ एक जान बचाने की नहीं, बल्कि यह दिखाने का उदाहरण है कि पुलिस यदि तत्परता और मानवता के साथ काम करे तो कितनी बड़ी दुर्घटना को टाला जा सकता है। यह भी दर्शाता है कि घरेलू कलह, नशा और मानसिक असंतुलन जैसी समस्याएं किस तरह से युवाओं को आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर कर देती हैं। ऐसे मामलों में समाज, परिवार और प्रशासन की संयुक्त जिम्मेदारी बनती है कि समय रहते ऐसे संकेतों को समझा जाए और व्यक्ति को मदद दी जाए।
पुलिस की मुस्तैदी ने न केवल एक जीवन बचाया, बल्कि परिवार को बर्बादी से बचा लिया।
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