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गिरफ्तार शीबा और फरहान |
शीबा की कहानी साधारण नहीं, बल्कि उन जटिल मानसिकताओं की प्रतिनिधि है, जहाँ रिश्ते अब त्याग या प्रेम पर नहीं, बल्कि सहूलियत, लाभ और इच्छाओं की पूर्ति पर टिके हैं। सूत्रों के अनुसार शीबा की पहली शादी सफीपुर में हुई थी, लेकिन वैवाहिक जीवन से असंतुष्ट होकर उसने अपने पहले पति को छोड़ दिया। कुछ समय बाद उसकी जिंदगी में दाखिल हुआ इमरान उर्फ काले, जो ई-रिक्शा चलाता था। दोनों में प्रेम संबंध बने और शीबा ने उससे विवाह कर लिया। शुरुआत में सब कुछ ठीक चला लेकिन शीबा को जल्द ही एहसास हुआ कि इमरान की आर्थिक हालत अच्छी नहीं है और वह शराब और नशे का आदी है। अक्सर घर में कलह होती, मारपीट होती और शीबा खुद को ठगा-सा महसूस करने लगी।
इसी बीच जब वह मायके चली गई थी, तब उसकी मुलाकात एक अन्य युवक फरमान उर्फ चुन्ना से हुई, जो सऊदी अरब से कमाकर लौटा था और आर्थिक रूप से संपन्न था। फरमान ने शीबा को महंगे उपहार, मोबाइल, अच्छे कपड़े और आज़ादी का झांसा दिया, जिससे शीबा पूरी तरह उसकी ओर खिंच गई। दोनों में धीरे-धीरे शारीरिक संबंध भी बन गए और शीबा ने अपने भविष्य को अब इमरान के बजाय फरमान के साथ देखने लगी। फिर शुरू हुई उस भयावह साजिश की पटकथा, जो अंततः एक खून में तब्दील होनी थी।
शीबा ने फरमान और उसके एक साथी रफीक कुरैशी के साथ मिलकर इमरान को रास्ते से हटाने की योजना बनाई। 6 जुलाई की रात, शीबा ने अपने पति को घर बुलाया और प्रेमपूर्वक बातों में उलझाकर उसे नशे में चरस और शराब पिलवाई। फिर फरमान और रफीक आए और इमरान को बाइक पर बैठाकर अचलगंज क्षेत्र के कंचनखेड़ा पुलिया के पास ले गए। सुनसान इलाके में ले जाकर उसका गला धारदार चाकू से रेत दिया गया और शव को वहीं नहर के किनारे फेंक दिया गया। सारा काम इतनी सफाई से किया गया कि किसी को शक तक न हो। अगले दिन सुबह जब स्थानीय ग्रामीणों ने पुलिया के पास खून देखा तो पुलिस को सूचित किया गया। शव की पहचान इमरान के रूप में हुई और मामला पुलिस तक पहुंचा।
जैसे-जैसे पुलिस जांच में आगे बढ़ी, वैसे-वैसे इस हत्या की परतें खुलती गईं। मोबाइल कॉल डिटेल्स, GPS लोकेशन, CCTV फुटेज और स्थानीय बयानात ने यह साफ कर दिया कि इस हत्या में सिर्फ एक झगड़ा नहीं, बल्कि एक पूरी साजिश शामिल थी। जांच में यह भी सामने आया कि हत्या के दिन शीबा और फरमान में लगातार कॉल्स हो रही थीं और हत्या के ठीक पहले व बाद में फरमान की मोबाइल लोकेशन मौके पर ही मिली। पुलिस ने शीबा और फरमान को गिरफ्तार किया और पूछताछ में दोनों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। उन्होंने माना कि इमरान उनके बीच दीवार बन गया था और उससे पीछा छुड़ाने का यही एकमात्र रास्ता उन्हें दिखा।
गिरफ्तारी के बाद दोनों को कोर्ट में पेश किया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। तीसरा आरोपी रफीक अब भी फरार है और पुलिस उसके संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है। पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त चाकू भी बरामद कर लिया है। पूरे घटनाक्रम की पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फॉरेंसिक टीम की जाँच और तकनीकी साक्ष्य से हुई है। पुलिस ने हत्या, आपराधिक षड्यंत्र, सबूत मिटाने और योजना बनाकर हत्या करने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
इस घटना ने न सिर्फ उन्नाव को हिला दिया बल्कि पूरे प्रदेश में रिश्तों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या वाकई रिश्ते अब उतने पवित्र नहीं रहे जितने पहले थे? जब एक पत्नी अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या की साजिश रचती है, तो यह केवल एक घरेलू कलह नहीं रह जाती—यह एक सामाजिक चेतावनी बन जाती है। शीबा की मानसिकता, फरमान की लालसा और रफीक की भागीदारी यह दर्शाती है कि जब स्वार्थ, लालच और वासना रिश्तों में घुल जाती है, तो नतीजे कितने भयावह हो सकते हैं।
यह घटना पुलिस और प्रशासन के लिए भी एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि इसमें केवल हत्या ही नहीं, बल्कि सामाजिक पतन, तकनीकी अपराध और भरोसे की हत्या शामिल है। प्रशासन अब इस केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जाने की तैयारी कर रहा है ताकि पीड़ित परिवार को शीघ्र न्याय मिल सके और समाज को यह संदेश जाए कि अपराध चाहे जितना योजनाबद्ध हो, कानून के शिकंजे से नहीं बच सकता।
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