उत्तर प्रदेश
उन्नाव जिले के मौरावां थाना क्षेत्र स्थित ग्राम पारा से मंगलवार की दोपहर एक दर्दनाक और झकझोर देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे गांव में सनसनी फैला दी। गांव के बाहरी हिस्से में स्थित एक पटाखा निर्माण स्थल पर उस वक्त जोरदार विस्फोट हो गया जब वहां पर 55 वर्षीय शिवचरण पुत्र विजय पटाखे बना रहा था। विस्फोट इतना तीव्र और अचानक था कि शिवचरण को संभलने का मौका तक नहीं मिला और उसकी मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। आसपास के ग्रामीण जब तक कुछ समझ पाते, घटनास्थल पर सिर्फ धुआं, अफरा-तफरी और जमीन पर पड़ा हुआ एक लहूलुहान शव नजर आया।
मौके पर मौजूद लोगों ने तत्काल घटना की सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद मौरावां थाने की पुलिस टीम तत्काल घटनास्थल पर पहुंची। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पंचायतनामा की प्रक्रिया पूरी की और पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। मृतक की पहचान शिवचरण पुत्र विजय निवासी ग्राम पारा थाना मौरावां के रूप में हुई है। बताया गया कि शिवचरण पेशे से पटाखा बनाने का काम करता था और वह लंबे समय से इसी कार्य में जुड़ा हुआ था।
घटनास्थल पर की गई शुरुआती जांच में यह बात सामने आई कि पटाखा निर्माण जिस स्थान पर चल रहा था, वह नफीस पुत्र रज्जन के नाम से पंजीकृत एक लाइसेंसी इकाई है। हालांकि मृतक शिवचरण इस इकाई का मालिक नहीं था, बल्कि वह एक श्रमिक के रूप में इस इकाई के अंतर्गत कार्य कर रहा था। अब पुलिस यह जांच कर रही है कि क्या शिवचरण को इस खतरनाक कार्य के लिए आवश्यक प्रशिक्षण या सुरक्षा संसाधन उपलब्ध कराए गए थे या नहीं।
सुरक्षा मानकों की अनदेखी को लेकर संदेह गहराता जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार इन पटाखा निर्माण इकाइयों में लापरवाही बरती जाती है और बिना पर्याप्त सुरक्षा इंतजामों के ही कार्य करवाया जाता है। न तो श्रमिकों को हेलमेट, दस्ताने या विशेष परिधान उपलब्ध कराए जाते हैं, और न ही आपात स्थिति में बचाव के लिए कोई इंतजाम होते हैं। जिस स्थान पर विस्फोट हुआ, वहां भी ऐसी कोई सुरक्षा व्यवस्था मौजूद नहीं थी, जिससे स्पष्ट होता है कि हादसे का कारण लापरवाही हो सकती है।
थाना मौरावां के प्रभारी निरीक्षक कुंवर बहादुर सिंह ने बताया कि मामले की गहनता से जांच की जा रही है। यह जानने का प्रयास किया जा रहा है कि विस्फोट किन परिस्थितियों में हुआ और कहीं इसमें सुरक्षा नियमों का उल्लंघन तो नहीं हुआ। साथ ही लाइसेंसधारी नफीस की भूमिका की भी जांच की जा रही है—क्या उसने सभी मानकों का पालन किया था? क्या उसने अपने अधीन कार्यरत कर्मचारियों को पूरी जानकारी, प्रशिक्षण व उपकरण प्रदान किए थे या नहीं?
यह हादसा केवल एक व्यक्ति की जान जाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे कई गंभीर सवाल भी खड़े हो गए हैं। क्या प्रशासन इन लाइसेंसी इकाइयों की नियमित निगरानी करता है? क्या सुरक्षा मानकों की समय-समय पर जांच होती है? और क्या पटाखा निर्माण जैसी खतरनाक प्रक्रिया के लिए श्रमिकों को कानूनी रूप से आवश्यक सुरक्षा दी जाती है?
शिवचरण की मौत ने उसके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है। परिवार का एकमात्र कमाऊ सदस्य अब नहीं रहा, जिससे उनके सामने आर्थिक संकट भी उत्पन्न हो गया है। गांव के लोगों में इस घटना के बाद गहरा आक्रोश है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि ऐसी खतरनाक गतिविधियों पर सख्त निगरानी रखी जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
यह घटना एक चेतावनी है कि विस्फोटक सामग्री से जुड़े कामों में सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए। प्रशासन, लाइसेंसधारी, और श्रमिक—तीनों की जिम्मेदारी बनती है कि सुरक्षा मानकों का पूरी तरह पालन हो। यदि समय रहते इन पर ध्यान नहीं दिया गया, तो भविष्य में और भी बड़ी दुर्घटनाएं सामने आ सकती हैं, जिनकी कीमत लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ेगी।
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