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धर्मपरिवर्तन कराने वाला सरबना छांगुर बाबा |
बलरामपुर
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले से शुरू हुई छांगुर बाबा की कहानी आज राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय बन चुकी है। पहले एक सामान्य ग्रामीण बाबा के रूप में पहचाने जाने वाले इस व्यक्ति का असली नाम जमालुद्दीन है, जो छद्मवेश में ‘छांगुर बाबा’ बनकर न केवल लोगों की आस्था से खिलवाड़ करता रहा, बल्कि धर्म परिवर्तन के एक सुनियोजित, संगठित और आर्थिक लाभ से संचालित रैकेट का सरगना भी निकला। छांगुर बाबा का जाल कितना बड़ा था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने करीब 1,500 से ज्यादा हिंदू महिलाओं और युवतियों का टारगेट करके उनका मतांतरण कराया, जिनमें अधिकतर गरीब, विधवा, निःसंतान और सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग की थीं।
शुरुआत में बाबा ने खुद को एक दिव्य चमत्कारी शक्ति से भरपूर साधु के रूप में प्रस्तुत किया। बलरामपुर, बहराइच और गोंडा जिलों में उसकी ख्याति फैलने लगी। वह अपनी “तांत्रिक विद्या”, “उपचार की ताकत” और “पिछले जन्म के पापों से मुक्ति” जैसे झूठे दावों के माध्यम से महिलाओं को प्रभावित करता था। खासकर जिन महिलाओं को संतान नहीं हो रही थी या जो सामाजिक रूप से पीड़ित थीं, वे उसकी झांसे में आसानी से आ जाती थीं। बाबा उन्हें ‘आशीर्वाद’ देता, सिर पर हाथ रखता, और कहता – "तुम्हारी तक़दीर बदली जाएगी… लेकिन एक शर्त है…" और वहीं से शुरुआत होती थी एक मानसिक ब्रेनवॉशिंग का।
महिलाओं को पहले अपने कथित "आश्रम" में बुलाया जाता, जहां उन्हें “काफिर” कहकर यह बताया जाता कि अगर वे इस्लाम कबूल करेंगी तो उन्हें अल्लाह का रहमत मिलेगा, संतान होगी और जीवन के सभी दुख दूर हो जाएंगे। उन पर धीरे-धीरे नए धर्म की शिक्षा थोप दी जाती और वे अपनी जाति, नाम और पहचान बदलने को मजबूर हो जाती थीं। कई मामलों में इनके "निकाह" स्थानीय मुस्लिम लड़कों से कराए गए, जो पहले से ही इस गिरोह का हिस्सा थे। बाद में महिलाओं को उनके परिजनों से काटकर कहीं और भेज दिया जाता।
इस पूरे नेटवर्क का संचालन अत्यंत व्यवस्थित तरीके से किया जाता था। जाती आधारित रेट कार्ड बनाये गए थे — ब्राह्मण और उच्च जाति की युवतियों के धर्म परिवर्तन पर 15-16 लाख रुपये, OBC के लिए 10-12 लाख, और SC/ST वर्ग के लिए 6-8 लाख रुपये तक की कीमत तय की गई थी। पैसे लेने का काम बाबा का कोर नेटवर्क करता था, जो नेपाल से लेकर महाराष्ट्र तक फैला हुआ था। पुणे और लोणावला में छांगुर बाबा की करोड़ों की संपत्ति मिली है, जो उसके इसी अवैध धंधे से अर्जित की गई बताई जा रही है। जांच में पता चला कि यह रकम हवालों और NGO के माध्यम से विदेशों से भी आती रही।
छांगुर बाबा का नेटवर्क भारत-नेपाल सीमा तक फैला था। नेपाल के कई मुस्लिम युवकों को इस गिरोह में शामिल किया गया था। ये युवक भारतीय लड़कियों से शादी करते, और बदले में गिरोह को मोटी रकम दी जाती। ATS की पूछताछ में पता चला है कि इस गिरोह के पास फर्जी दस्तावेज बनाने, नाम बदलवाने, और मतांतरण के फॉर्म भरवाने की पूरी प्रोफेशनल व्यवस्था थी। कुछ स्थानीय नेताओं, प्रशासनिक कर्मियों और सोशल वर्करों की भूमिका पर भी संदेह है, जो इस नेटवर्क की रक्षा करते थे।
इस रैकेट की पोल तब खुली जब कुछ महिलाएं, जो बाद में इससे बाहर निकलीं, उन्होंने शिकायत दर्ज कराई। इसी आधार पर उत्तर प्रदेश ATS ने छांगुर बाबा को बलरामपुर से गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद छांगुर बाबा ने खुद को “मासूम” बताते हुए कहा कि “मैं तो अल्लाह की राह दिखा रहा था।” लेकिन उसकी गिरफ्तारी के साथ ही खुलासों की एक लंबी श्रृंखला शुरू हो गई। ATS ने जब बलरामपुर स्थित बाबा की कोठी में छापा मारा, तो वहां से धार्मिक किताबें, धर्म परिवर्तन फॉर्म, मुस्लिम नामों की सूची, विदेशी मुद्रा, फर्जी आधार कार्ड, पासपोर्ट, लैपटॉप, और करोड़ों की नकदी बरामद की गई।
इसके बाद बाबा की कोठी पर बुलडोजर कार्रवाई की गई — एक बड़ा घर जिसमें धर्मांतरण की साजिशें रची जाती थीं, उसे प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया। इस बुलडोजर कार्रवाई को “बाबा का बुलडोजर” नाम देकर मीडिया ने भी जोर-शोर से दिखाया। बाबा की करीबी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन, जो महिलाओं से संवाद करती थी और उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए मानसिक रूप से तैयार करती थी, उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
अब इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की भी एंट्री हो चुकी है। ED इस बात की जांच कर रही है कि छांगुर बाबा के पास इतने पैसे कहां से आए, किस माध्यम से विदेशी फंडिंग आई, और उसका उपयोग किन-किन जगहों पर किया गया। बाबा का कनेक्शन महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, बिहार, नेपाल और बांग्लादेश तक फैला हुआ बताया जा रहा है। कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि वह ग्लोबल इस्लामिक मिशन जैसे संगठनों से जुड़ा हुआ था, जो भारत में चुपचाप धर्मांतरण की गतिविधियों में शामिल हैं।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस मामले को राज्य की सामाजिक सुरक्षा के खिलाफ एक गंभीर अपराध करार देते हुए कहा कि राज्य में "धर्मांतरण माफिया" के खिलाफ अब सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि कोई भी व्यक्ति जो दूसरों की धार्मिक आस्था के साथ छल करेगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा।
इस घटना ने पूरे प्रदेश के प्रशासन, मीडिया और जनता को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि यह उस मानसिकता का प्रतीक है जो धर्म को व्यापार, राजनीति और साजिश का माध्यम बनाकर समाज को भीतर से खोखला करने पर तुली है। छांगुर बाबा का मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या आज भी हम धर्म और आस्था के नाम पर भटकाए जा सकते हैं? क्या सरकार, समाज और शिक्षा इतनी सजग नहीं हो पाई कि इस तरह के संगठनों को समय रहते रोका जा सके?
यह मामला न केवल कानून व्यवस्था की सख्ती की मांग करता है, बल्कि समाज को आत्ममंथन करने के लिए भी मजबूर करता है — ताकि धर्म को सौदेबाज़ी से, विश्वास को चालबाज़ी से, और महिलाओं को झूठे ‘मुक्तिदाता’ से बचाया जा सके। छांगुर बाबा की गिरफ्तारी इस संघर्ष की एक शुरुआत है, लेकिन पूरी सफाई तब होगी जब हर उस हाथ को बेनकाब किया जाएगा जो इस गंदे खेल का हिस्सा रहा है।
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