पाकिस्तान एक बार फिर अपनी खुफिया साजिशों को लेकर भारत की सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है। इस बार मामला सीधे भारत की केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के एक जवान से जुड़ा है, जिसे हाल ही में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार जवान का नाम मोती राम जाट है, जिसे दिल्ली से पकड़ा गया। उस पर गंभीर आरोप हैं कि वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के संपर्क में था और संवेदनशील सूचनाएं साझा कर रहा था।
गिरफ्तारी के बाद NIA ने इस केस की जांच को विस्तार से आगे बढ़ाया और अब इसमें बड़ा खुलासा हुआ है। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, पाकिस्तान ने मोती राम को पैसे देने के लिए जो तरीका अपनाया, वह बेहद चौंकाने वाला था। उन्होंने किसी सीधा हैंडलर नहीं रखा, बल्कि एक ऐसा सिस्टम तैयार किया जिसमें आम, निर्दोष लोग भी अनजाने में शामिल हो गए।
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने व्यापारिक सेवाओं से जुड़े कुछ लोगों या ग्राहकों को निशाना बनाया। ये लोग ट्रैवल बुकिंग, करेंसी एक्सचेंज या सामान खरीदने जैसी गतिविधियों में शामिल थे। इन्हें जब भुगतान करना होता था, तो उन्हें जो अकाउंट नंबर या क्यूआर कोड दिया गया, वह मोती राम जाट का होता था — लेकिन उन्हें यह जानकारी नहीं दी जाती थी कि वह पैसा किसे भेज रहे हैं।
पैसा भेजने वाले लोगों को लगता था कि वे किसी एजेंसी, ट्रैवल ऑपरेटर या व्यापारी को पेमेंट कर रहे हैं, जबकि असल में वह रकम CRPF जवान को पहुंच रही थी। यह जुगाड़ इतना बारीकी से रचा गया था कि ट्रांजैक्शन वैध और सामान्य प्रतीत होता था, जिससे वित्तीय ट्रैकिंग तंत्र भी धोखा खा जाता।
NIA ने इस मामले में जांच को गंभीरता से आगे बढ़ाया और दिल्ली के अलीपुर, कोलकाता के खिदरपुर और पार्क सर्कस जैसे इलाकों में छापेमारी की। इन स्थानों पर व्यापार से जुड़े लोगों और संस्थानों की गतिविधियों की जांच की गई। एक ट्रैवल एजेंसी के मालिक को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया, जिसने बताया कि उसे कोई अंदाजा नहीं था कि जिस खाते में उसने पेमेंट किया, वह किसी सुरक्षा बल के जवान का था।
यह पूरा तंत्र इस तरह तैयार किया गया था कि बिना किसी प्रत्यक्ष लिंक के पाकिस्तान अपनी साजिश को अंजाम दे रहा था। जिन लोगों का इस्तेमाल हुआ, वे खुद भी इस बात से अंजान थे कि उनका उपयोग देशविरोधी गतिविधियों में किया जा रहा है। इस तरह की प्रणाली ने जांच एजेंसियों के लिए सिरदर्द खड़ा कर दिया है, क्योंकि सामान्य दिखने वाले इन लेन-देन की तह तक जाना बेहद जटिल साबित हो रहा है।
NIA यह भी जांच कर रही है कि क्या मोती राम अकेला था या फिर इस नेटवर्क में और भी सरकारी या सुरक्षाबलों के लोग शामिल हैं। साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है कि कितने पैसे इस तरह के 'फर्जी ट्रांजैक्शन नेटवर्क' से भारत में पाक खुफिया एजेंसी द्वारा भेजे गए। मामला अब केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं रह गया है।
यह मामला भारत की सुरक्षा प्रणाली के लिए एक गंभीर चेतावनी है। पाकिस्तान अब पारंपरिक तरीकों से अलग हटकर, अत्यधिक चालाकी से काम कर रहा है। वह आम लोगों की मासूमियत का फायदा उठाकर अपने एजेंटों तक रकम पहुंचा रहा है, जिससे सुरक्षात्मक तंत्र को चुनौती मिल रही है।
यह घटनाक्रम इस बात का प्रमाण है कि दुश्मन देश अब केवल हथियारों या जासूसी गैजेट्स के सहारे नहीं, बल्कि भारत के ही व्यापारिक और नागरिक ढांचे का इस्तेमाल कर भारत के खिलाफ मोर्चा खोल रहा है। इसकी रोकथाम के लिए एजेंसियों को केवल तकनीकी नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता के स्तर पर भी सख्ती बरतनी होगी।
जनता को भी अब यह समझने की ज़रूरत है कि किसी भी अनजान खाते या अजीब क्यूआर कोड पर पैसे भेजने से पहले दो बार सोचें। कहीं वे अंजाने में देश की सुरक्षा के लिए खतरा तो नहीं बन रहे? मोती राम का केस एक उदाहरण है कि दुश्मन कितनी गहराई और चालाकी से भारत में घुसपैठ करने की फिराक में है।
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