"सुप्रीम कोर्ट की दो टूक: हाईकोर्ट राजस्व विभाग के संरक्षक नहीं हो सकते"

 


Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने बंबई हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि हाईकोर्ट राजस्व विभाग के संरक्षक नहीं हैं. हाईकोर्ट ने कंपनी को 256.45 करोड़ रुपए लौटाने के निर्देश पर रोक लगाई थी.

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख: नई दिल्ली से आई एक अहम कानूनी खबर में सुप्रीम कोर्ट ने बंबई हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें एक कंपनी को 256.45 करोड़ रुपये लौटाने के सीईएसटीएटी (CESTAT) के निर्देश पर रोक लगाई गई थी।

हाईकोर्ट की भूमिका पर सवाल: जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने टिप्पणी की कि हाईकोर्ट को राजस्व विभाग का संरक्षक नहीं माना जा सकता और न ही वह इस भूमिका में हस्तक्षेप कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट टिप्पणी: कोर्ट ने कहा कि जब हाईकोर्ट ने खुद माना कि राजस्व विभाग की अपील विचारणीय नहीं है, तो फिर वह इस आधार पर स्थगन (स्टे) का आदेश नहीं दे सकता।

अधिकार क्षेत्र की मर्यादा: सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा कि हाईकोर्ट की सीमा तय है और वह सीईएसटीएटी जैसे विशेष न्यायाधिकरणों के आदेशों में अनुचित हस्तक्षेप नहीं कर सकता।

सीईएसटीएटी का फैसला: मामला केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 की धारा 35G से जुड़ा है, जिसमें जनवरी 2025 में सीईएसटीएटी ने कंपनी की सेवा कर से संबंधित अपील स्वीकार करते हुए राशि लौटाने का आदेश दिया था।

हाईकोर्ट का आदेश सवालों में: हाईकोर्ट ने अपील को विचारणीय न मानते हुए भी रिट याचिका और अपील को निपटा देने के बाद स्टे दिया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम दृष्टया गलत ठहराया।

न्यायिक संतुलन का संदेश: इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि न्यायालयों को अपने क्षेत्राधिकार की सीमाओं में रहकर ही काम करना चाहिए, खासकर तब जब मामला आर्थिक या राजस्व हितों से जुड़ा हो।


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