कोलकाता
कोलकाता के साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज में पढ़ने वाली 24 वर्षीय छात्रा के साथ हुए गैंगरेप की घटना ने न केवल पूरे शहर बल्कि राज्यभर में सनसनी फैला दी है। पीड़िता ने थाने में जो चार पन्नों की लिखित एफआईआर दी है, उसमें उसने उस भयावह रात की पूरी दरिंदगी को शब्दों में उतारा है। पीड़िता के मुताबिक, इस घटना की शुरुआत तब हुई जब उसे कॉलेज परिसर स्थित छात्रसंघ के यूनियन रूम में बुलाया गया। वहां सात अन्य लोग पहले से मौजूद थे। इन सबके बीच मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा ने छात्रा पर शादी करने का दबाव बनाना शुरू किया। छात्रा ने साफ इनकार करते हुए बताया कि वह पहले से एक रिश्ते में है और किसी भी तरह के भावनात्मक या शारीरिक संबंध में रुचि नहीं रखती। इसके बाद आरोपी ने उस पर निष्ठा साबित करने की बात कहकर मानसिक दबाव बनाया। जब पीड़िता ने इसका भी विरोध किया, तो तीनों आरोपियों ने मिलकर उसे जबरन कमरे में बंद कर दिया।
एफआईआर के अनुसार, जब छात्रा खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, उसने मनोजीत को पीछे धकेला और जोर-जोर से चिल्लाई, रोई, यहां तक कि तीनों के पैरों में गिरकर गिड़गिड़ाई, लेकिन किसी ने उसकी एक न सुनी। उसके आंसू, चीख और मिन्नतें किसी पर असर नहीं कर पाईं। तीनों ने बारी-बारी से उसके साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता ने कहा कि ये सब कॉलेज परिसर के अंदर हुआ, यूनियन रूम जैसे ऐसे स्थान में जहां छात्र-छात्राओं को सुरक्षा की उम्मीद होती है। सबसे भयावह बात ये रही कि वहां मौजूद अन्य लोगों ने सब कुछ जानते हुए भी कोई मदद नहीं की, न तो रोका, न ही पुलिस को सूचना दी। उल्टा, घटना के बाद छात्रा को चुप रहने के लिए धमकाया गया और यह तक कहा गया कि यदि वह किसी से कुछ कहेगी तो उसके खिलाफ फर्जी आरोप लगाकर उसकी छवि खराब कर दी जाएगी।
घटना को लेकर राजनीतिक रंग देने की कोशिश भी हुई। एफआईआर में यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि पीड़िता पर दबाव बनाया गया कि यदि वह कॉलेज की "राजनीतिक लाइन" में नहीं चलेगी, तो उसे संगठन के खिलाफ गवाही देने की कीमत चुकानी पड़ेगी। अब इस मामले में कोलकाता पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा और उसके दो साथियों के खिलाफ गैंगरेप, साजिश, धमकी और मानसिक उत्पीड़न की धाराओं में केस दर्ज किया गया है। पीड़िता को मेडिकल जांच के बाद सुरक्षित स्थान पर रखा गया है और पुलिस ने उसके परिवार को भी सुरक्षा मुहैया कराई है।
यह मामला न सिर्फ एक जघन्य अपराध को दर्शाता है, बल्कि यह भी उजागर करता है कि किस तरह शैक्षणिक संस्थानों के अंदर राजनीति, दबाव, और डर का माहौल बना हुआ है, जहां एक छात्रा की चीखें भी दीवारों से टकराकर लौट आती हैं। पुलिस और प्रशासन पर अब इस केस को निष्पक्षता से सुलझाने और पीड़िता को न्याय दिलाने की जिम्मेदारी है, ताकि समाज में एक मजबूत संदेश जा सके कि ऐसे अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे किसी भी संगठन से क्यों न जुड़े हों।
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