"सर, मैं जिंदा हूं... मेरी मौत की फोटो ही वायरल कर दी गई!"
घटना से परिजन, पुलिस और स्थानीय लोग सन्न रह गए। अब बड़ा सवाल यह है कि अगर अजय जिंदा है, तो ओवरब्रिज के नीचे मिली लाश आखिर किसकी है?
सोशल मीडिया पर वायरल फोटो से फैला भ्रम
घटना की शुरुआत गुरुवार को हुई, जब कानपुर के घाटमपुर क्षेत्र में ओवरब्रिज के नीचे एक अज्ञात युवक का शव मिला। पहचान न होने पर पुलिस ने शव की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल की, ताकि कोई व्यक्ति उसकी शिनाख्त कर सके।
फोटो देखने के बाद घाटमपुर की रहने वाली सुमन नामक महिला थाने पहुंची और भावुक होकर कहा –
"यह मेरे छोटे भाई अजय की लाश है, मैंने इसे गोद में खिलाया है।"
सुमन के बयान और दृढ़ विश्वास पर पुलिस ने शव का पंचनामा कर उसे पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। सुमन ने पुलिस को बताया कि अजय कानपुर देहात का निवासी है और कुछ समय से लापता था।
असली अजय के आते ही सब उल्टा पड़ गया
शाम तक माहौल गमगीन था, लेकिन कुछ ही घंटे बाद थाने में असली अजय खुद चलकर आ गया। पुलिस को देखकर उसने कहा:
"सर, मैं अजय हूं। ये फोटो मेरी नहीं है, मैं तो बिल्कुल ठीक हूं!"
यह सुनकर पुलिसकर्मी, सुमन और वहां मौजूद हर कोई हक्के-बक्के रह गया। अजय ने बताया कि वह काम के सिलसिले में बाहर गया हुआ था, और मोबाइल स्विच ऑफ था, इसलिए कोई संपर्क नहीं हो पाया।
पोस्टमॉर्टम रोका गया, अब असली पहचान की जांच
जैसे ही सच्चाई सामने आई, पुलिस ने तुरंत पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया रुकवा दी और शव को मोर्चरी में सुरक्षित रखवाया गया।
अब पुलिस यह जांच कर रही है कि:
- शव किस युवक का है?
- मौत की वजह क्या थी?
- क्या इसमें कोई आपराधिक एंगल है?
मामले ने उठाए कई अहम सवाल
- क्या सिर्फ भावनात्मक पहचान के आधार पर किसी शव की शिनाख्त करना सही है?
- सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों से क्या कभी ग़लतफहमियां नहीं फैल सकतीं?
- ऐसी घटनाओं में पुलिस को कितनी सावधानी बरतनी चाहिए?
एक 'मौत' ने जिंदा को मार दिया – और मृत की पहचान अब भी अधूरी
पुलिस ने जांच तेज़ कर दी है, और उम्मीद है कि जल्द ही इस रहस्य से पर्दा उठेगा।