"हॉस्पिटल के नाम पर हज़ारों करोड़ का खेल! दिल्ली के दो पूर्व मंत्रियों पर केस दर्जʺ

 



नई दिल्ली

दिल्ली की पूर्ववर्ती सरकार के स्वास्थ्य विभाग में हुए हजारों करोड़ रुपये के कथित घोटाले को लेकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने बड़ा कदम उठाया है। ACB ने दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ केस दर्ज किया है। यह कार्रवाई उपराज्यपाल वीके सक्सेना की मंजूरी के बाद संभव हो पाई। आरोप है कि दोनों मंत्रियों के कार्यकाल के दौरान अस्पताल निर्माण परियोजनाओं में भारी अनियमितताएं और सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, एसीबी ने दर्ज की गई एफआईआर में दोनों पूर्व मंत्रियों के साथ-साथ पांच निजी ठेकेदारों को नामजद किया है। जबकि स्वास्थ्य और लोक निर्माण विभाग (PWD) से जुड़े कई सरकारी अधिकारी इस पूरे मामले में संदिग्ध हैं, लेकिन अभी उनकी पहचान की जा रही है। जांच एजेंसी के अनुसार, प्रारंभिक जांच में परियोजनाओं के क्रियान्वयन में गंभीर लापरवाहियों और वित्तीय गड़बड़ियों के प्रमाण मिले हैं।

यह मामला साल 2018-19 में शुरू हुई 24 अस्पताल निर्माण परियोजनाओं से जुड़ा है। इनमें 11 ग्रीनफील्ड (नई जगह पर निर्माण) और 13 ब्राउनफील्ड (पहले से मौजूद इमारतों का विस्तार) परियोजनाएं शामिल थीं, जिनकी अनुमानित लागत करीब 5,590 करोड़ रुपये थी। इस योजना के तहत सात ICU अस्पतालों का निर्माण छह महीने में 1,125 करोड़ की लागत से किया जाना था, लेकिन तीन साल से अधिक बीतने के बावजूद अब तक केवल 50 प्रतिशत काम ही पूरा हो पाया है, वह भी बढ़ी हुई लागत पर।

एफआईआर के मुताबिक, अस्पतालों और पॉलीक्लिनिकों के निर्माण में तय समयसीमा और बजट की अनदेखी की गई। निर्माण कार्यों की गुणवत्ता, लागत अनुमानों, ठेकेदारी प्रक्रिया और भुगतान प्रणाली में कई खामियां पाई गईं। खासकर LNJP अस्पताल की न्यू ब्लॉक परियोजना के लिए स्वीकृत 465.52 करोड़ रुपये की लागत अब बढ़कर 1,125 करोड़ रुपये के पार हो चुकी है। यही नहीं, 168.52 करोड़ रुपये की स्वीकृति के बावजूद 94 नियोजित पॉलीक्लिनिकों में केवल 52 का ही निर्माण हो पाया, और वह भी लगभग 220 करोड़ रुपये की बढ़ी हुई लागत पर।

इस मामले में शिकायत सबसे पहले 22 अगस्त 2024 को दिल्ली विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता द्वारा एसीबी को दी गई थी। उन्होंने सीधे तौर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए विस्तृत दस्तावेज सौंपे थे। हालाँकि, उपराज्यपाल की स्वीकृति न मिलने के कारण इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी थी। बाद में जब वीके सक्सेना ने जांच की स्वीकृति दी, तब ACB ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए FIR दर्ज कर ली।

केस दर्ज होने के बाद अब ACB द्वारा सबूत जुटाने और संबंधित अधिकारियों की भूमिका की जांच की जा रही है। कई परियोजनाओं में बजट से तीन गुना अधिक खर्च दिखाया गया है, लेकिन परिणाम न के बराबर हैं। इससे न केवल सरकारी कोष को नुकसान हुआ है बल्कि जनता को स्वास्थ्य सेवाओं से भी वंचित होना पड़ा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आरोप सिद्ध होते हैं तो यह देश के स्वास्थ्य ढांचे में हुए सबसे बड़े भ्रष्टाचार मामलों में से एक हो सकता है। एसीबी अब वित्तीय दस्तावेजों, ठेकेदारी अनुबंधों और निर्माण रिपोर्ट की फॉरेंसिक जांच कर रही है।

फिलहाल, ACB का अगला कदम संबंधित अधिकारियों और ठेकेदारों से पूछताछ करना और रिकॉर्ड जब्त करना होगा। इस बीच, विपक्ष ने इसे सरकार की विफलता करार दिया है, जबकि आम आदमी पार्टी ने आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है। आने वाले दिनों में यह मामला और तूल पकड़ सकता है।

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