बांग्लादेश की राजधानी ढाका में स्थित प्रसिद्ध खिलखेत दुर्गा मंदिर को 27 जून 2025 को भारी विरोध के बीच ढहा दिया गया, जिससे बांग्लादेश और भारत के बीच तनाव और गहरा हो गया है। यह मंदिर कथित रूप से बांग्लादेश रेलवे की जमीन पर स्थित था, जिसे "अवैध कब्जा" बताते हुए ढाका डिवीजन के रेलवे कमिश्नर और डिवीजनल इस्टेट ऑफिसर द्वारा हटाने का आदेश इस सप्ताह की शुरुआत में जारी किया गया था। आदेश के तहत ढाका के पुरबाचल आर्मी कैंप से बुलडोजर लाए गए और भारी संख्या में पुलिस और सुरक्षा बलों की मौजूदगी में मंदिर गिराने की कार्रवाई की गई। इस दौरान मंदिर की रक्षा के लिए बड़ी संख्या में हिंदू श्रद्धालु, खासकर महिलाएं और बुजुर्ग मंदिर के सामने धरने पर बैठ गए और शांतिपूर्ण विरोध दर्ज कराया, लेकिन उन्हें बलपूर्वक हटा दिया गया।
इस कार्रवाई में न केवल मंदिर को गिरा दिया गया बल्कि मंदिर में स्थापित देवी दुर्गा की मूर्ति को भी नुकसान पहुंचा। मूर्ति को पहले से कहीं और स्थानांतरित करने के बजाय उसी स्थान पर तोड़ दिया गया, जिससे हिंदू समुदाय में आक्रोश फैल गया है। इस घटना के विरोध में बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण जोत नामक हिंदू संगठनों के साझा मंच ने शाहबाग इलाके में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है।
भारत सरकार ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक प्रेस बयान में बांग्लादेशी अधिकारियों की आलोचना करते हुए कहा कि चरमपंथी समूह पहले से मंदिर को गिराने की मांग कर रहे थे और बांग्लादेश सरकार ने न सिर्फ सुरक्षा देने में विफलता दिखाई, बल्कि इस विध्वंस को वैध ठहराकर उसे अंजाम भी दे दिया। उन्होंने कहा कि भारत को यह जानकर गहरा दुख हुआ है कि देवी की मूर्ति को भी उचित सम्मान नहीं दिया गया और उसे नष्ट कर दिया गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी है कि वह हिंदू समुदाय, उनकी संपत्ति और धार्मिक संस्थानों की रक्षा करे।
इस घटना की संवेदनशीलता इसलिए भी अधिक बढ़ गई है क्योंकि भारत और बांग्लादेश के बीच पिछले एक वर्ष से रिश्ते लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री शेख हसीना को विरोध प्रदर्शनों के चलते पद छोड़ना पड़ा था और उन्हें भारत में शरण लेनी पड़ी थी। इसके बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनी, जिसने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर कई बार लापरवाही दिखाई है। मई 2025 में भारत ने बांग्लादेश से कई उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। इसके अलावा, प्रोफेसर यूनुस के एक विवादित बयान में उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को "समुद्र से कटे हुए" और "बंगाल की खाड़ी से वंचित" बताया था, जिससे दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव और बढ़ गया था।
ढाका में मंदिर तोड़े जाने की यह घटना न सिर्फ धार्मिक सहिष्णुता पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भारत-बांग्लादेश के द्विपक्षीय संबंधों के भविष्य पर भी गंभीर असर डाल सकती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह मामला अब एक बड़ी मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ी चिंता के रूप में उभर सकता है।
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