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मृतक विष्णु जायसवाल का फाइल फोटो |
उन्नाव, उत्तरप्रदेश
SONOFUNNAO उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के रसूलाबाद गांव में सोमवार का दिन एक भयानक त्रासदी लेकर आया, जिसने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया। एक ही घर से एक साथ बाप और बेटे की अर्थियां उठीं तो हर आंख नम हो गई। गांव के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा दृश्य देखने को मिला, जहां मासूम की मौत के गम में डूबे पिता की खुद की मौत की खबर भी कुछ ही पलों में आ गई।
घटना की शुरुआत घर के आंगन में खेल रहे 4 वर्षीय मासूम आयांश से हुई। आयांश खेलते-खेलते घर की दीवार पर लगे खुले बिजली बोर्ड तक पहुंच गया। मासूमियत में उसने जैसे ही बोर्ड में उंगली डाली, तेज करंट के झटके से वह वहीं गिर पड़ा। करंट इतना जबरदस्त था कि बिजली बोर्ड का ढांचा टूटकर उसी पर गिर गया।
परिजन जब तक कुछ समझ पाते, तब तक बच्चा बेहोश हो चुका था। आनन-फानन में उसे पास के मियागंज सीएचसी ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। आयांश की मौत की खबर ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया। मां बेसुध हो गई और घर में कोहराम मच गया।
इधर, बेटे की मौत की सूचना उसके पिता विष्णु जायसवाल को दी गई, जो पास के शराब ठेके पर नौकरी करते थे। जैसे ही उन्हें यह खबर मिली, वे घबराहट और तनाव में तुरंत बाइक से घर की ओर रवाना हुए। लेकिन रास्ते में माखी-रसूलाबाद मार्ग पर एक तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने उनकी बाइक को जोरदार टक्कर मार दी।
हादसा इतना भीषण था कि विष्णु की मौके पर ही मौत हो गई। राहगीरों ने जब घायल अवस्था में उन्हें देखा, तब तक उनकी सांसे थम चुकी थीं। पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। अब अज्ञात वाहन चालक की तलाश की जा रही है।
इस दोहरी त्रासदी ने पूरे गांव को गहरे शोक में डाल दिया है। जब घर से दो शव एक साथ निकले, तो पूरे गांव में सन्नाटा छा गया। पड़ोसियों के अनुसार, विष्णु बेहद मेहनती और सरल स्वभाव के इंसान थे, और उनका परिवार गांव में अपनी सादगी के लिए जाना जाता था।
गांववालों का कहना है कि जिस बिजली बोर्ड से मासूम को करंट लगा, वह काफी समय से खुला पड़ा था, और उन्होंने कई बार बिजली विभाग से शिकायत भी की थी। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब लोग बिजली विभाग की लापरवाही पर सवाल उठा रहे हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
पुलिस भी इस पूरे मामले को गंभीरता से ले रही है। जहां एक ओर हादसे में शामिल फरार वाहन चालक की तलाश की जा रही है, वहीं बिजली विभाग से जुड़े अधिकारियों से भी पूछताछ की जा सकती है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद और सरकारी मुआवजा दिया जाए।
रसूलाबाद गांव की यह घटना सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और सिस्टम की कमजोरी का कड़ा उदाहरण है। मासूम आयांश की जान जा सकती थी बचाई, अगर सुरक्षा मानकों का पालन होता। और शायद विष्णु भी जिंदा होते अगर सड़कें सुरक्षित और वाहन नियंत्रित होते। अब एक पूरा परिवार उजड़ चुका है, और गांव भर में सिर्फ आंसुओं और अफसोस की बारिश हो रही है।
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