गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया योग अभ्यास, कहा - "योग शारीरिक नहीं, मानसिक और आध्यात्मिक उत्थान का भी माध्यम"


गोरखपुर: 21 जून को पूरे देश में 11वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस बड़े ही उत्साह और जोश के साथ मनाया गया। इस वर्ष की थीम "एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग" रही, जिसका उद्देश्य पर्यावरण और स्वास्थ्य के बीच गहरे संबंध को उजागर करना है। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में आयोजित कार्यक्रमों में हजारों लोगों ने भाग लिया, वहीं राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में मुख्य आयोजन का नेतृत्व किया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर के महंत दिग्विजय नाथ स्मृति भवन सभागार में आयोजित योग सत्र में भाग लिया। उन्होंने लोगों के साथ योगाभ्यास कर योग के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि योग भारत की प्राचीन ऋषि परंपरा का अमूल्य उपहार है, जो मानव शरीर को ही नहीं, बल्कि मन और आत्मा को भी ऊर्जा प्रदान करता है।

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, “योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन का माध्यम है। यह हमें आत्म-नियंत्रण, अनुशासन और जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा देता है। धर्म, कर्म, मोक्ष जैसे किसी भी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए स्वस्थ शरीर अनिवार्य है।”

उन्होंने आगे कहा कि योग भारत से निकली वह परंपरा है, जिसने आज पूरे विश्व को एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने का मार्ग दिखाया है। “भारत ने योग को लोक कल्याण का साधन बना कर संपूर्ण मानवता के हित में प्रस्तुत किया है। यह केवल शरीर की फिटनेस नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और मानसिक शक्ति का आधार है।”

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी लखनऊ के राजभवन में आयोजित योग सत्र में भाग लेकर योग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। प्रदेश भर में सुबह 6 बजे से ही निर्धारित स्थानों पर विशेष योग सत्र आयोजित किए गए, जिनमें स्कूली बच्चों, अधिकारियों, सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

मुख्यमंत्री ने आम लोगों से योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यदि हर व्यक्ति योग को नियमित रूप से अपनाए, तो न केवल उसका शरीर स्वस्थ रहेगा, बल्कि समाज भी मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत होगा। साथ ही, पर्यावरण की रक्षा में भी यह योगदान देगा क्योंकि योग प्राकृतिक जीवनशैली की ओर प्रेरित करता है।

इस अवसर पर कई स्थानों पर स्वास्थ्य शिविर, ध्यान सत्र और योग प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं। लोगों ने योग के विभिन्न आसनों का अभ्यास कर शारीरिक लचीलापन, सांस नियंत्रण और ध्यान केंद्रित करने की कला को सीखा। बच्चों और युवाओं में भी योग के प्रति खासा उत्साह देखने को मिला।

अंत में, मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि योग एक वैकल्पिक उपाय नहीं, बल्कि जीवन जीने की समग्र और वैज्ञानिक पद्धति है। उन्होंने कहा कि भारत की यह सांस्कृतिक विरासत आज विश्वभर में स्वास्थ्य और शांति का प्रतीक बन चुकी है, और हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह इसे आत्मसात कर एक स्वस्थ और जागरूक समाज का निर्माण करे।


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