बिजनौर।
ये खबर आपको झकझोर देगी।
ये घटना इंसानियत को शर्मसार कर देगी।
और ये मौत… सिर्फ एक इंसान की नहीं, ये सिस्टम की संवेदनहीनता की कब्रगाह है!
–डायलिसिस के दौरान चली गई बिजली… और फिर जो हुआ, वो मौत से भी खौफनाक था!
बिजनौर के फूलफंदा गांव का रहने वाला सरफराज, हर बार की तरह अपनी मां सलमा के साथ बिजनौर मेडिकल कॉलेज डायलिसिस के लिए पहुंचा था।
मगर इस बार इलाज नहीं मिला – मौत मिली।
डायलिसिस के बीच अचानक बिजली चली गई।
मेडिकल कॉलेज में जनरेटर था, लेकिन उसमें डीजल नहीं था।
जी हाँ!
जनरेटर था, लेकिन डीजल नहीं था!
"मदद करो, मेरा बेटा मर रहा है..." – मां की चीखें गूंजती रहीं
सरफराज की मां सलमा कहती हैं:
"मैं बार-बार हाथ जोड़ती रही... चीखती रही... मगर किसी ने नहीं सुना।
मेरा बेटा बिस्तर पर तड़प रहा था, खून बह रहा था...
और डॉक्टरों ने सिर्फ निगाहें फेर लीं!"
सरफराज धीरे-धीरे तड़पते हुए दम तोड़ता रहा — बिना इलाज, बिना मशीन, बिना जवाब।
–ये मौत नहीं, सिस्टम की साजिश है!
- जहां डायलिसिस जैसे जीवन रक्षक इलाज के बीच बिजली चली जाए,
- जहां जनरेटर में डीजल न भरा जाए,
- जहां स्टाफ फोन उठाना भी जरूरी न समझे,
- और जहां मां की चीखें दीवारों से टकराकर लौट आएं...
वहां मौत नहीं होती, हत्या होती है।
–सरफराज की मौत ने खोल दी सरकारी अस्पतालों की असलियत!
ये घटना सिर्फ सरफराज की नहीं…
ये हर उस गरीब मरीज की कहानी है जो सिस्टम पर भरोसा करता है।
पर सवाल ये है –
👉 क्या सरफराज को न्याय मिलेगा?
👉 क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी?
👉 या सब कुछ फिर दबा दिया जाएगा?