उन्नाव। 21 अगस्त।
उन्नाव जनपद में किसानों की समस्याओं को लेकर भारतीय किसान यूनियन आराजनैतिक (टिकैत) के कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपा। इस दौरान किसानों ने कहा कि आज खेती करना बेहद कठिन होता जा रहा है। बिजली बिल, खाद की कमी, बाढ़ से तबाही और आवारा पशुओं की समस्या ने किसानों की कमर तोड़ दी है। किसानों ने मांग की कि यदि इन समस्याओं का तत्काल समाधान नहीं किया गया तो वे आंदोलन की राह अपनाने को मजबूर होंगे।
किसान नेताओं चंद्रमोहन, नरेंद्र रावत और बिन्दा प्रसाद ने सबसे पहले बिजली बिल की समस्या उठाई। उनका कहना था कि घरेलू और कृषि उपयोग के लिए आने वाले बिजली बिल काफी अधिक हैं। कई बार ऐसा होता है कि वर्षों पुराने बकाया बिल एक साथ भेज दिए जाते हैं, जिससे किसान परेशान हो जाते हैं और उन्हें भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। किसानों ने मांग की कि हर घर में मीटर लगाया जाए और समय पर मासिक बिल भेजा जाए ताकि किसान समय रहते उसका भुगतान कर सकें।
इसके साथ ही किसानों ने बताया कि इस समय खरीफ सीजन की बुवाई का समय चल रहा है, लेकिन खाद की भारी कमी के कारण खेतों में काम प्रभावित हो रहा है। धान और खरीफ फसलों की बुवाई रुक गई है और किसान खाद के इंतजार में परेशान हैं। किसानों का कहना है कि यदि समय पर खाद नहीं मिली तो पैदावार पर गंभीर असर पड़ेगा और यह सीधा-सीधा किसान की आर्थिक स्थिति पर चोट करेगा। इसलिए जिलाधिकारी से तुरंत खाद उपलब्ध कराने की मांग की गई।
ज्ञापन में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति का भी विस्तार से उल्लेख किया गया। किसानों ने कहा कि कई गांव अब भी बाढ़ की मार झेल रहे हैं और वहां न तो खाद्य सामग्री पहुंची है, न ही दवाइयां और न ही नाव जैसी जरूरी सुविधाएं। सिकंदरपुर सरोसी ब्लॉक के भदौना गांव में हालात बेहद खराब हैं। बारिश और बाढ़ की वजह से कई घर ढह गए हैं और कई परिवार बेघर होकर पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। उमाशंकर और देवेन्द्र जैसे परिवार बुरी तरह से प्रभावित हैं और अपनी जान बचाने के लिए घर छोड़ने पर मजबूर हो गए।
इतना ही नहीं, अन्ना पशुओं की समस्या भी जिलेभर में लगातार गंभीर होती जा रही है। किसानों ने कहा कि दिन-रात खेतों में मेहनत करके जो फसल तैयार होती है, उसे आवारा जानवर बर्बाद कर देते हैं। यह समस्या हर ब्लॉक और गांव में बढ़ती जा रही है। किसानों ने मांग की कि इन आवारा पशुओं को पकड़कर गौशालाओं में भेजा जाए ताकि किसानों की मेहनत सुरक्षित रह सके।
किसान नेताओं ने स्पष्ट कहा कि किसान पहले से ही मौसम की मार और प्राकृतिक आपदाओं से परेशान हैं। ऐसे में यदि सरकार और प्रशासन किसानों की समस्याओं पर गंभीरता से ध्यान नहीं देंगे तो मजबूरी में किसानों को आंदोलन करना पड़ेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि आंदोलन इस बार बड़ा और व्यापक होगा, जिसमें जिलेभर के किसान शामिल होंगे।
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