ʺमैनपुरी में मंदिर के भीतर सिरफिरे आशिक ने युवती पर बरसाईं गोलियां: ICU में जिंदगी से जंग, 10 पुलिसकर्मियों ने खून देकर दिखाई इंसानियतʺ


उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से एक बेहद दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया है। यह वारदात न केवल एक युवती पर हुआ हिंसक हमला है, बल्कि उस सामाजिक पागलपन और मानसिक विकृति का आईना भी है, जिसमें एकतरफा प्रेम जुनून का रूप लेकर इंसान को हैवान बना देता है। 21 वर्षीय दिव्यांशी राठौर पर उस समय हमला हुआ, जब वह अपने घर के पास चौथियाना मोहल्ले में स्थित एक शिव मंदिर में शांत मन से भगवान शिव की पूजा कर रही थी। हर दिन की तरह वह पूजा करने मंदिर गई थी, लेकिन उसे अंदाजा भी नहीं था कि यह दिन उसकी जिंदगी का सबसे भयावह दिन बन जाएगा।

जानकारी के मुताबिक, पूजा के दौरान अचानक राहुल दिवाकर नाम का युवक मंदिर में घुस आया। उसने पहले मंदिर का मुख्य दरवाजा बंद कर दिया ताकि अंदर की गतिविधि और गोलियों की आवाज बाहर तक न जाए। इसके बाद उसने अपनी जेब से पिस्तौल निकाली और सीधे दिव्यांशी पर फायरिंग शुरू कर दी। तीन गोलियां युवती को लगीं और वह वहीं मंदिर के फर्श पर गिर पड़ी। मंदिर जैसी पवित्र जगह में इस तरह की हिंसा की किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। आसपास के लोगों को जब तक घटना का पता चला, तब तक राहुल मंदिर से फरार हो चुका था और दिव्यांशी खून से लथपथ बेहोश पड़ी थी। आनन-फानन में लोगों ने उसे उठाकर अस्पताल पहुंचाया, जहां से उसे सैफई पीजीआई रेफर कर दिया गया क्योंकि उसकी हालत बेहद गंभीर थी।

पुलिस ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए महज तीन घंटे में आरोपी राहुल को एक मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार कर लिया। मुठभेड़ में राहुल के पैर में गोली लगी और उसे पकड़ लिया गया। पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि राहुल और दिव्यांशी के बीच पूर्व में जान-पहचान थी। कुछ समय पहले दोनों के बीच किसी बात को लेकर विवाद हुआ था, जिसके बाद उन्होंने बातचीत बंद कर दी थी। वहीं, हाल ही में दिव्यांशी की शादी किसी अन्य युवक से तय हो गई थी। जब यह बात राहुल को पता चली तो वह बौखला गया और उसने इस खौफनाक हमले की योजना बनाई। यह हमला किसी आवेश या तात्कालिक गुस्से में नहीं बल्कि योजनाबद्ध तरीके से किया गया प्रतीत होता है, क्योंकि उसने मंदिर का गेट बंद किया, हथियार साथ लाया और गोली चलाने के बाद मौके से भाग गया।

इस हमले के बाद पुलिस और समाज दोनों में खलबली मच गई। लेकिन इस घटना के बीच एक इंसानियत भरा दृश्य भी सामने आया, जिसने पुलिस विभाग की छवि को नई ऊंचाई दी। दिव्यांशी की हालत नाजुक थी और उसे खून की सख्त जरूरत थी। ऐसे में मैनपुरी के 10 पुलिसकर्मी सैफई मेडिकल कॉलेज पहुंचे और उन्होंने अपना खून देकर युवती की जान बचाने की कोशिश की। इन पुलिसकर्मियों की तत्परता और संवेदनशीलता ने साबित किया कि पुलिस सिर्फ कानून का पालन ही नहीं कराती, बल्कि जरूरत पड़ने पर समाज की सबसे बड़ी सहारा भी बन सकती है।

फिलहाल दिव्यांशी आईसीयू में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही है। डॉक्टर लगातार निगरानी रखे हुए हैं और परिवार वाले दुआओं के सहारे उसकी सलामती की उम्मीद लगाए बैठे हैं। वहीं आरोपी राहुल के खिलाफ हत्या के प्रयास, अवैध हथियार रखने और अन्य गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस अब इस केस को मजबूत बनाने और न्याय सुनिश्चित करने के लिए हर पहलू की जांच कर रही है।

यह पूरी घटना केवल एक आपराधिक वारदात नहीं है, बल्कि यह समाज के उस खतरनाक मानसिकता की भी झलक देती है, जहां प्रेम का मतलब ‘स्वामित्व’ समझा जाने लगा है। एक लड़की की मर्जी और उसकी स्वतंत्रता को दरकिनार करते हुए उसे मार डालना एक बेहद घिनौना कृत्य है, जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है। यह मामला केवल कानून का नहीं, बल्कि समाज की सोच में बदलाव का भी है। हमें ऐसे सिरफिरे और जुनूनी लोगों को पहचानने, रोकने और समय रहते उनके खिलाफ कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि किसी और दिव्यांशी को इस तरह की दरिंदगी का सामना न करना पड़े।

समाज को चाहिए कि वह ऐसे अपराधों के खिलाफ एकजुट होकर आवाज़ उठाए और न्याय की इस लड़ाई में पीड़ित परिवार के साथ खड़ा हो। प्रशासन से भी अपेक्षा की जाती है कि वह इस मामले को गंभीरता से ले और त्वरित न्याय सुनिश्चित करे। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या अब मंदिर जैसे पवित्र स्थान भी महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं रहे? जरूरत है कड़े कानून की, सजग समाज की और समय पर न्याय की, ताकि हर लड़की बेखौफ होकर जी सके, मंदिर जा सके और अपने भविष्य के सपने संजो सके।

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