उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण के मामलों ने एक बार फिर प्रदेश की कानून व्यवस्था और सामाजिक तानेबाने को हिला कर रख दिया है। विगत कुछ महीनों से प्रदेश के कई जिलों से लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें सुनियोजित तरीके से लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जा रहा था। इस पूरे अभियान का संचालन अत्यंत गुप्त और व्यवस्थित ढंग से किया जा रहा था, जो अब पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की सक्रियता के बाद उजागर हो रहा है। छांगुर बाबा सिंडिकेट के खुलासे ने इस नेटवर्क के अंदरूनी खेल का पर्दाफाश कर दिया है। पुलिस द्वारा बीते शनिवार को सबरोज नामक व्यक्ति के मकान पर बुलडोजर चलाकर उसे ध्वस्त किया गया, जो इस नेटवर्क का सक्रिय सदस्य बताया जा रहा है।
शाहजहांपुर जिले के सिंधौली कस्बे से एक बड़ा मामला सामने आया है, जहां पर प्रार्थना सभा की आड़ में धर्म परिवर्तन का खेल पिछले 15 वर्षों से चल रहा था। पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों—किरन जोसुआ, उसका पति पद्मनाभन उर्फ पास्टर जोसुआ और सहयोगी असनीत मसीह—को गिरफ्तार किया है। ये लोग पहले शाहजहांपुर के सदर बाजार इलाके में रहकर धर्मांतरण से जुड़ी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे और जून 2024 से सिंधौली कस्बे में शिफ्ट होकर एक नए मकान में फिर से इसी कार्य को चालू कर दिया। पुलिस जांच में सामने आया है कि इन प्रार्थना सभाओं के ज़रिए ये लोग स्थानीय लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित करते थे। धीरे-धीरे इन सभाओं में शामिल होने वाले लोग अपनी पारंपरिक हिंदू पूजा-पद्धतियों को त्यागकर ईसाई परंपराओं को अपनाने लगे। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि सभा में भाग लेने वालों को नकद पैसे भी दिए जाते थे, जिससे उनकी आर्थिक निर्भरता भी इन्हीं लोगों पर बन जाए और वे मजबूर होकर धर्म परिवर्तन स्वीकार करें। पुलिस को शक है कि इस रैकेट को तमिलनाडु स्थित एक संस्था द्वारा फंडिंग की जा रही थी। अब जांच एजेंसियां इस बात का पता लगाने में जुट गई हैं कि वह संस्था प्रदेश के किन-किन जिलों में धन भेज रही थी और अब तक कितने लोगों का धर्म परिवर्तन कराया गया है।
इसी तरह, गोंडा जिले से भी एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें फैजान नामक एक युवक ने पहले अपना नाम बदलकर ‘अक्षय’ रख लिया और फिर एक हिंदू युवती को प्रेमजाल में फंसाकर उसका धर्म परिवर्तन करा दिया। युवती का बयान और शिकायत बेहद चौंकाने वाले हैं। उसके अनुसार, वर्ष 2015 से लेकर 2025 तक उसे बार-बार शारीरिक शोषण का शिकार होना पड़ा और इसी दौरान छांगुर बाबा की मदद से उसका जबरन धर्म परिवर्तन भी कराया गया। यह घटना दर्शाती है कि कैसे युवतियों को पहचान छुपाकर प्रेम के नाम पर ठगा जा रहा है और बाद में मानसिक, शारीरिक और धार्मिक शोषण किया जा रहा है।
इसी के साथ, आगरा जिले में पुलिस ने "मिशन अस्मिता" नामक एक और बड़े धर्मांतरण रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जिसके तार पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों से जुड़े पाए गए हैं। पुलिस ने इस नेटवर्क में सक्रिय 14 लोगों को गिरफ्तार किया है, जो सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल कर लोगों को बहलाने और भ्रमित करने का काम कर रहे थे। इस नेटवर्क का मुख्य उद्देश्य न सिर्फ धार्मिक पहचान बदलवाना था, बल्कि सामाजिक विघटन भी था।
इसके अतिरिक्त, देहरादून में भी एक समानांतर नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ है, जो उत्तर भारत के कई हिस्सों में सक्रिय था। वहीं, बहराइच जिले में कुछ मुस्लिम युवकों द्वारा हिंदू युवकों के साथ मारपीट की घटना को सांप्रदायिक रंग में देखा जा रहा है। इस घटना ने भी धर्मांतरण से उपजी सामाजिक अशांति को उजागर किया है। इसके उलट, गाजियाबाद में दो महिलाओं ने स्वेच्छा से सनातन धर्म को अपनाते हुए "घर वापसी" की, जो दर्शाता है कि कैसे लोग इन धर्मांतरण गतिविधियों के विरोध में आत्मचिंतन कर पुनः अपने मूल धर्म में लौट रहे हैं।
इन सभी घटनाओं ने प्रदेश में न केवल धार्मिक परिवर्तन को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि इससे जुड़ी आपराधिक गतिविधियों पर भी ध्यान केंद्रित किया है। यह स्पष्ट हो चुका है कि धर्मांतरण की यह प्रक्रिया अब किसी अकेले व्यक्ति की पहल नहीं बल्कि एक संगठित और योजनाबद्ध नेटवर्क के तहत की जा रही है, जिसमें बाहरी फंडिंग, पहचान छुपाकर प्रेमजाल फैलाना, आर्थिक लालच और धार्मिक भ्रम जैसी रणनीतियों का खुलकर इस्तेमाल किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश पुलिस और खुफिया एजेंसियां अब इस पूरे नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के लिए तेजी से कार्रवाई कर रही हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके और राज्य में सामाजिक सौहार्द को बनाए रखा जा सके।
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