ʺउन्नाव में ज़मानत के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा: बांग्लादेशी महिला को रिहा कराने के लिए फर्जी दस्तावेज़ों का सहारा, दो आरोपी गिरफ्तारʺ


उन्नाव

उन्नाव जिले में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां ठगी के आरोप में गिरफ्तार की गई एक बांग्लादेशी महिला की ज़मानत के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया। यह पूरा प्रकरण न केवल न्यायिक व्यवस्था की गंभीरता को चुनौती देता है, बल्कि यह भी उजागर करता है कि कैसे संगठित गिरोह कानून को चकमा देने के लिए योजनाबद्ध तरीके से फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। दरअसल, रायबरेली जिले के लालगंज थाना क्षेत्र निवासी मानू सोनी ने 21 फरवरी को पुलिस में शिकायत दी थी कि उन्हें एक महिला और दो अज्ञात युवकों ने सऊदी रियाल देने का झांसा देकर 1.55 लाख रुपये की ठगी की। बाद में उन्हें एक गड्डी दी गई, जिसमें नकली कागज निकले और आरोपी मौके से फरार हो गए। इस मामले में पुलिस ने जांच के बाद पश्चिम बंगाल और मथुरा से पांच लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें बांग्लादेशी मूल की महिला हमीदा भी शामिल थी।

हमीदा की गिरफ्तारी के बाद उसे जेल भेजा गया, लेकिन कुछ ही दिनों में उसकी जमानत के प्रयास शुरू हो गए। जिला जज की अदालत से 2 अप्रैल को उसकी जमानत मंजूर की गई, जो 9 अप्रैल को एसीजेएम तृतीय की अदालत में प्रस्तुत की गई। यहीं से फर्जीवाड़े की असली कहानी सामने आई। ज़मानत के लिए जिन दो लोगों के दस्तावेज अदालत में पेश किए गए थे – मालमऊ गांव निवासी शिवनारायण और उनके भतीजे रामलखन – वे वास्तविक रूप से न तो उस दिन उपस्थित थे और न ही दस्तावेजों में दी गई जानकारी पूरी तरह सही पाई गई। जांच में खुलासा हुआ कि शिवनारायण अत्यधिक वृद्ध हैं और लंबे समय से अस्वस्थ हैं, जबकि रामलखन कई वर्षों से गाँव में दिखे ही नहीं। ऐसे में इन दोनों के नाम से पेश किए गए दस्तावेजों की सच्चाई पर सवाल खड़े हो गए।

इस मामले की गहन जांच कर रहे पुलिस विवेचक सूरज सिंह ने जब सत्यापन प्रक्रिया शुरू की, तो दस्तावेजों की असलियत सामने आ गई। अदालत में प्रस्तुत फॉर्म, पहचान पत्र और अन्य प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए। इस खुलासे के बाद हमीदा, उसके अधिवक्ता अनिल कुमार, उसके पैरोकार और दोनों फर्जी जमानतदारों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए सोमवार को दो आरोपियों – नेतुआ गांव निवासी आशीष राठौर उर्फ संजय और अरझोरामऊ निवासी प्रताप – को गिरफ्तार कर लिया।

कोतवाल अवनीश सिंह ने बताया कि दोनों आरोपियों को उन्नाव के करोवन मोड़ के पास से गिरफ्तार किया गया और उन्हें अदालत में पेश कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। वहीं, पुलिस अब शेष आरोपियों की तलाश में दबिशें दे रही है। यह पूरा प्रकरण न केवल आपराधिक मंशा को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि अपराधी अब अदालतों की कार्यप्रणाली को भी निशाना बनाकर उसे प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे मामलों से न्याय व्यवस्था की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर खतरा उत्पन्न होता है। 

आवश्यकता है कि ऐसे फर्जीवाड़ों को रोकने के लिए दस्तावेजों के सत्यापन की प्रक्रिया को और अधिक कड़ा, तकनीकी और पारदर्शी बनाया जाए ताकि कोई भी व्यक्ति झूठे आधार पर न्यायिक प्रणाली का दुरुपयोग न कर सके।

#unnaonews


📞 हमसे संपर्क करें:
आपके पास कोई खबर, सुझाव या शिकायत है? तो हमसे जुड़िए – आपकी बात हमारे लिए महत्वपूर्ण है।
📧 ईमेल: sonofunnao@gmail.com
📱 फोन: +91-9044000032
💬 हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें: https://chat.whatsapp.com/H4qfujCjmpIIb7SsuTWcI7
📝 खबर भेजिए, आवाज़ बनिए – क्योंकि आपकी बात मायने रखती है।

Post a Comment

Previous Post Next Post