गाड़ी चलाना सिखाने वाले अब कानून से सीखेंगे सबक? उन्नाव में भिड़े दो पक्ष, वायरल हुआ हंगामा



उन्नाव।

उन्नाव में शुक्रवार को ARTO कार्यालय के बाहर उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब दो वाहन प्रशिक्षण सेंटर संचालकों के बीच वर्चस्व को लेकर विवाद इस कदर बढ़ गया कि मामला हाथापाई और तोड़फोड़ तक जा पहुंचा। इस पूरी घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे जिले भर में चर्चा का माहौल बन गया है।

जानकारी के अनुसार, विवाद उन्नाव निवासी स्थानीय सेंटर संचालक विनीत द्विवेदी और कानपुर से आए प्रदीप द्विवेदी के बीच हुआ। प्रदीप द्विवेदी उन्नाव में एक नया मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर खोलने के लिए आए थे। बताया जा रहा है कि वह खुद को एक राजनीतिक दल के नेता का करीबी बताकर यहां केंद्र स्थापित करना चाहते थे, जिसका स्थानीय संचालक ने विरोध किया।

विवाद के दौरान दोनों पक्षों के बीच पहले तीखी बहस हुई। लेकिन बात यहीं नहीं रुकी और कुछ ही देर में लात-घूंसे चलने लगे। मारपीट में कई लोग घायल हो गए। इस दौरान आरोप है कि प्रदीप द्विवेदी के साथ आए लोगों की दो कारों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया। टूटे शीशे और गाड़ियों के डेंट साफ तौर पर झगड़े की तीव्रता को बयां कर रहे थे।

मोटर ट्रेनिंग स्कूल संचालक रजोल तिवारी

घटना के समय कार्यालय परिसर के बाहर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। ARTO दफ्तर में काम करने आए आम लोग डर के मारे इधर-उधर भागते नजर आए। देखते ही देखते मामला इतना बढ़ गया कि राहगीरों ने पुलिस को फोन कर मौके पर बुलाया।

सूचना मिलते ही कोतवाली सदर पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंची और दोनों पक्षों को मौके से हिरासत में लिया। दोनों को कोतवाली ले जाकर पूछताछ शुरू की गई है। पुलिस ने वायरल हो रहे वीडियो को भी अपने कब्जे में लेकर सबूत के तौर पर जांच में शामिल कर लिया है।

दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ तहरीर दी है और मामले में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। पुलिस सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है ताकि यह साफ हो सके कि झगड़ा किसने शुरू किया और कारों में तोड़फोड़ किसने की। मामले की जांच में तकनीकी टीम भी लगाई गई है।

ARTO जैसे संवेदनशील सरकारी परिसर में इस तरह की हिंसक घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोल दी है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या परिसर में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी? क्या समय रहते किसी अधिकारी या सुरक्षा गार्ड ने हस्तक्षेप नहीं किया?

फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस घटना ने न सिर्फ सरकारी दफ्तरों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि यह भी दिखा दिया है कि व्यापारिक वर्चस्व की लड़ाई अब सरकारी चौखटों तक पहुंच चुकी है।

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