नोएडा में वरिष्ठ पत्रकार दंपति पर 'गलत पहचान' की कार्रवाई: पुलिसिया लापरवाही या सिस्टम की सच्चाई?
उमस भरी दोपहर, अचानक अफरातफरी: गुरुवार को नोएडा सेक्टर-38 के एक पेट्रोल पंप पर ईंधन भरवाते वक्त वरिष्ठ पत्रकार अयंतीका पाल (TOI) और उनके पति राहुल साहा (MoneyControl) पर पुलिस की एक टीम टूट पड़ी—बिना किसी स्पष्ट पहचान या वारंट के।
"तुम राहुल हो ना?"—और उसके बाद खिंचाई: दिल्ली पुलिस साइबर सेल की टीम ने plain clothes में आते ही राहुल का हाथ पकड़कर खींचना शुरू कर दिया। सब-इंस्पेक्टर ऋतु डांगी और दो अन्य पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर राहुल को हरियाणा के एक साइबर क्रिमिनल समझ लिया।
पत्रकार ने शुरू की रिकॉर्डिंग, दिखाई पहचान: अयंतीका पाल ने स्थिति भांपते हुए फौरन कैमरा ऑन किया और अपना प्रेस कार्ड दिखाते हुए पूछताछ की, लेकिन पुलिसकर्मी पहचान दिखाए बिना जबरदस्ती करने लगे।
"खींचो इसे पीछे से!"—भड़काने वाला आदेश: वीडियो में स्पष्ट रूप से एक पुरुष कांस्टेबल महिला पुलिसकर्मी को अयंतीका को खींचने का निर्देश देता है, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई।
गलत पहचान, माफीनामा कार की बोनट पर: बाद में स्पष्ट हुआ कि पुलिस गलत राहुल को पकड़ रही थी। SI ऋतु डांगी ने कार की बोनट पर हाथ से माफीनामा लिखा और गलती मानते हुए माफी मांगी।
पुलिस की सफाई, पर वीडियो ने खोली पोल: दिल्ली पुलिस ने बयान में कहा कि “कोई बल प्रयोग नहीं हुआ”, लेकिन वायरल वीडियो कुछ और ही कहानी कहता है। सवाल उठता है—क्या तकनीक के नाम पर नागरिकों के अधिकार कुचले जा सकते हैं?
"हम पत्रकार थे, इसलिए सुना गया... औरों का क्या?" अयंतीका का सवाल गूंजता है—अगर उनके पास कैमरा न होता तो? क्या यह घटना आम नागरिक के साथ भी ऐसे ही निपटती? सिस्टम की कार्यप्रणाली और जवाबदेही पर यह एक कड़ी चोट है।
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