"मजदूरी मांगना बना मौत का कारण: बागपत में ईंट भट्ठे के मजदूर को मालिक के बेटे ने बिल्डिंग से फेंका, दर्दनाक मौत"


बागपत

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बड़ौत कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले राजपुर खामपुर गांव से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने न सिर्फ स्थानीय लोगों को हिलाकर रख दिया है, बल्कि इंसानियत को भी शर्मसार कर दिया है। मामला एक ईंट भट्ठे पर काम करने वाले गरीब मजदूर राशिद से जुड़ा है, जो पिछले पांच वर्षों से सृष्टि ईंट भट्ठे पर काम कर रहा था। उसका गुनाह सिर्फ इतना था कि उसने अपने करीब 50 हजार रुपये की बकाया मजदूरी मांगी थी। लेकिन उसकी यही मांग उसकी मौत का कारण बन गई। परिजनों का आरोप है कि जब राशिद ने मजदूरी मांगी तो भट्ठा मालिक के बेटे नीरज और भट्ठे के मुनीम ने उसे बहाने से बुलाकर तीन मंजिला इमारत की ऊपरी मंजिल पर ले गए। वहां उसके साथ जमकर मारपीट की गई और फिर उसे ऊपर से नीचे फेंक दिया गया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल अवस्था में जब परिजनों ने उसे अस्पताल पहुंचाया तो उसकी जान बचाने की हर मुमकिन कोशिश की गई, लेकिन अस्पताल में इलाज के अभाव और समय पर मदद न मिलने के कारण उसने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया

परिजनों ने यह भी आरोप लगाया है कि हादसे के बाद भट्टा मालिक और उसके परिजन पूरी तरह से चुप हो गए। न तो किसी ने फोन उठाया और न ही कोई देखने तक आया। यह घटना न सिर्फ मजदूरों के शोषण की कहानी बयां करती है, बल्कि यह भी उजागर करती है कि गरीब की जान की कीमत आज भी कुछ नहीं मानी जाती। राशिद का बेटा गमगीन हालत में कहता है कि उसके पिता जब भी अपनी मेहनताना मांगते थे, तो उन्हें धमकाया जाता था और बाकी मजदूरों के सामने नकद भुगतान दिखाकर सच्चाई छुपाई जाती थी। इस बार जब राशिद ने विरोध किया, तो सत्ता, पैसे और ताकत के मद में चूर लोगों ने उसकी आवाज को हमेशा के लिए खामोश कर दिया

इस अमानवीय घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची, शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया और अब मामले की जांच शुरू कर दी गई है। हालांकि अभी तक किसी आरोपी की गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं हुई है, जिससे परिजनों और ग्रामीणों में गुस्सा और डर दोनों बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर अब भी दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो वे सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे। यह मामला एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या गरीब और मजदूर वर्ग की जिंदगी की कोई कीमत नहीं? क्या उनकी मेहनत का हक मांगना गुनाह है? यह केवल एक हत्या नहीं, बल्कि श्रमिक वर्ग के आत्मसम्मान और अधिकारों की निर्मम हत्या है। प्रशासन से अब इस मामले में सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है ताकि राशिद को इंसाफ मिल सके और आगे किसी और मजदूर के साथ ऐसी दरिंदगी न हो

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