उत्तर प्रदेश के कौशांबी जनपद से इंसाफ, विश्वास और एक पिता की बेबसी से जुड़ी एक दिल दहला देने वाली सच्ची घटना सामने आई है। एक झूठे दुष्कर्म के मामले में जब बेटा जेल गया तो उसके पिता ने अपनी पीड़ा और असहायता में थाने के सामने ही ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली। कुछ ही दिन बाद पीड़िता ने खुद स्वीकार कर लिया कि उसके साथ कोई दुष्कर्म नहीं हुआ था और उसने मां के दबाव में आकर झूठा बयान दिया था।
इस गिरफ़्तारी के बाद युवक का पिता पूरी तरह टूट गया। वह लगातार थाने और अफसरों से गुहार लगाता रहा कि उसका बेटा निर्दोष है, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। अंततः 5 जून को सैनी कोतवाली के बाहर पुलिसकर्मियों के सामने ही उसने ज़हर खाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।
“मैंने मां के बहकावे में आकर झूठा बयान दिया। मेरे साथ कोई गलत हरकत नहीं हुई थी।”
जांच में व्हाट्सएप चैट और दोनों के बीच पूर्व परिचय की पुष्टि हुई। युवक को 11 दिन जेल में बिताने के बाद बेल पर रिहा किया गया। जांच रिपोर्ट में आरोपी युवक को क्लीन चिट दी गई।
- क्या जल्दबाज़ी में गिरफ्तारी न्यायसंगत थी?
- क्या पुलिस द्वारा मामले की त्वरित और निष्पक्ष जांच की गई होती तो यह जान बच सकती थी?