उत्तर प्रदेश सरकार ने देश के होनहार खिलाड़ियों को सरकारी सेवाओं में सम्मानित स्थान देने की अपनी नीति के तहत एक बड़ा और प्रेरणादायक फैसला लिया है। इस फैसले के तहत भारत के युवा और चर्चित क्रिकेटर रिंकू सिंह को बेसिक शिक्षा विभाग में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) के प्रतिष्ठित पद पर नियुक्त किया जा रहा है। यह नियुक्ति ‘अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता डायरेक्ट रिक्रूटमेंट नियमावली-2022’ के अंतर्गत की जा रही है, जिसे राज्य सरकार ने विशेष रूप से उन खिलाड़ियों के लिए बनाया है जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए पदक या विशेष उपलब्धियां हासिल की हैं। रिंकू सिंह का यह चयन खेलों में उनके असाधारण योगदान, मेहनत, अनुशासन और लगातार बेहतर प्रदर्शन का परिणाम है। यह फैसला सिर्फ रिंकू के लिए नहीं, बल्कि उन सभी खिलाड़ियों के लिए एक मिसाल है जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने जुनून और देशप्रेम के साथ मैदान पर उतरते हैं और देश का गौरव बढ़ाते हैं।
BSA (जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी) का पद एक ग्रुप-A राजपत्रित पद है जो प्रशासनिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण और जिम्मेदारियों से भरा होता है। इस पद का मुख्य कार्य जिले के सभी सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था को सुव्यवस्थित बनाए रखना होता है। इसमें शिक्षक नियुक्तियों, विद्यालय निरीक्षण, छात्रों के नामांकन, शैक्षणिक गुणवत्ता की निगरानी, योजना क्रियान्वयन और बाल शिक्षा से जुड़े सरकारी कार्यक्रमों की निगरानी जैसे कार्य शामिल होते हैं। आम तौर पर इस पद के लिए किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक डिग्री आवश्यक होती है और उम्मीदवार की आयु 21 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए। चयन तीन चरणों — प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार — के माध्यम से होता है। लेकिन रिंकू सिंह को यह पद उनके अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रदर्शन के चलते सीधे विशेष नियमों के अंतर्गत प्रदान किया गया है, जो दर्शाता है कि अब खिलाड़ियों की मेहनत को केवल तालियों से नहीं, बल्कि सत्ता और व्यवस्था में भागीदारी देकर सम्मानित किया जा रहा है।
सैलरी की बात करें तो BSA पद पर कार्यरत अधिकारी को 7वें वेतन आयोग के तहत पे मैट्रिक्स लेवल-10 में वेतन दिया जाता है, जिसकी शुरुआती राशि ₹56,100 प्रतिमाह है और यह अनुभव, सेवा अवधि और प्रोन्नति के अनुसार बढ़कर ₹1,77,500 तक पहुंच सकती है। इसके अतिरिक्त उन्हें 46% महंगाई भत्ता (DA), मकान किराया भत्ता (HRA), यात्रा भत्ता (TA), बाल शिक्षा भत्ता, चिकित्सा सुविधा, पेंशन, ग्रेच्युटी, और सरकारी आवास जैसी अनेक सुविधाएं मिलती हैं। शहर या जिले की स्थिति के अनुसार उनकी कुल प्रारंभिक सैलरी ₹70,000 से ₹90,000 प्रतिमाह के बीच हो सकती है। इसके अलावा, BSA के पास जिला स्तर पर प्रशासनिक वाहन, स्टाफ, ऑफिस सुविधा और सामाजिक प्रतिष्ठा भी होती है, जो इस पद को और भी प्रभावशाली बनाती है।
रिंकू सिंह की यह यात्रा साधारण पृष्ठभूमि से शुरू होकर असाधारण उपलब्धियों तक पहुंची है। उनका जन्म 12 अक्टूबर 1997 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में एक बेहद साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता गैस सिलेंडर की डिलीवरी का काम करते थे और आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि रिंकू केवल कक्षा 9वीं तक ही औपचारिक शिक्षा प्राप्त कर सके। लेकिन उन्होंने कठिनाइयों को कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया और क्रिकेट को ही अपना जीवन बना लिया। वह हर सुबह मेहनत करते, मैदान में घंटों पसीना बहाते और छोटे क्लब मैचों से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक का सफर बड़ी लगन और धैर्य से तय करते गए।
रिंकू ने 2017 में IPL में किंग्स इलेवन पंजाब से डेब्यू किया, लेकिन उन्हें असली पहचान तब मिली जब उन्होंने 2018 से कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) का हिस्सा बनते हुए अपने प्रदर्शन में निरंतरता दिखाई। खासकर IPL 2023 में उनका शानदार प्रदर्शन सबकी नजरों में आ गया, जहां उन्होंने कई मैचों में अपनी टीम को मुश्किल स्थिति से बाहर निकालते हुए जीत दिलाई। इसके बाद उन्हें भारतीय टीम में शामिल किया गया और उन्होंने आयरलैंड के खिलाफ T20I मैच में डेब्यू किया। एक ऐसे युवा के लिए, जिसने शिक्षा अधूरी छोड़ दी थी और सीमित संसाधनों में क्रिकेट को अपनी दुनिया बनाया, अब BSA जैसे पद तक पहुंचना न केवल व्यक्तिगत जीत है, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणादायक कहानी भी है।
उत्तर प्रदेश सरकार का यह निर्णय न सिर्फ रिंकू सिंह के संघर्ष और परिश्रम का सम्मान है, बल्कि उन हजारों युवाओं के लिए एक संदेश भी है कि खेल अब सिर्फ मैदान तक सीमित नहीं, बल्कि यह सरकारी सेवा, सामाजिक प्रतिष्ठा और राष्ट्रनिर्माण का भी माध्यम बन चुका है। यह पहल खिलाड़ियों को मुख्यधारा में लाने और उनके करियर को स्थायित्व देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। रिंकू सिंह अब केवल क्रिकेट के मैदान में नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था के क्षेत्र में भी योगदान देंगे और एक नई पहचान के साथ आगे बढ़ेंगे। सरकार की इस खेल नीति ने यह सिद्ध कर दिया है कि जिसने देश का नाम रोशन किया, अब वही देश की नीतियों और व्यवस्थाओं में भागीदार बनेगा।