लखनऊ से बड़ी खबर: योगी सरकार ने नगरीय निकायों को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब नगर पंचायतों को 1 करोड़ रुपये तक के निर्माण कार्यों की स्वीकृति के लिए किसी उच्च अधिकारी की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।
वित्तीय स्वायत्तता में इजाफा: नगर विकास विभाग ने एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) में संशोधन कर नगरीय निकायों को अधिक स्वायत्तता देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब नगर पंचायतें 1 करोड़ और नगर पालिका परिषदें 2 करोड़ तक के काम खुद करा सकेंगी।
पहले क्या था नियम: पहले इन निकायों को सिर्फ 40 लाख रुपये तक के निर्माण कार्यों की स्वीकृति थी। लेकिन अब बाजार दरों और आवश्यकताओं को देखते हुए सीमा बढ़ा दी गई है।
गुणवत्ता पर विशेष फोकस: नए नियमों के तहत निर्माण कार्यों की गुणवत्ता का मूल्यांकन और माप सुनिश्चित किया जाएगा। गुणवत्ता में कमी या मापन की त्रुटि पाए जाने पर संबंधित ठेकेदार और अधिकारी दोनों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
जवाबदेही तय: यदि किसी भी निर्माण कार्य में त्रुटि के चलते अतिरिक्त भुगतान होता है, तो उसका 50% ठेकेदार और शेष 50% संबंधित अभियंता एवं प्रशासनिक अधिकारी से वसूला जाएगा। इसकी निगरानी जिलाधिकारी करेंगे।
तकनीकी बदलाव: सड़कों के निर्माण में नई तकनीकों जैसे FDR (फुल डेप्थ रिक्लेमेशन) को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही 3.75 मीटर चौड़ी सड़कों पर इंटरलॉकिंग टाइल्स लगाने की भी अनुमति होगी, जिसकी गुणवत्ता प्रमाणित की जाएगी।
74वें संविधान संशोधन का क्रियान्वयन: यह फैसला संविधान के 74वें संशोधन के अनुरूप स्थानीय निकायों को सशक्त बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है।
प्रमुख सचिव का बयान: नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने कहा कि यह निर्णय पारदर्शिता बढ़ाने, भ्रष्टाचार रोकने और विकास कार्यों की गुणवत्ता सुधारने में मील का पत्थर साबित होगा।
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