ग्रामीणों में आक्रोश, पुलिस गश्त पर उठे सवाल, मंदिरों की सुरक्षा पर उठी बहस
धन्नीखेड़ा मंदिर से घंटे, मशीनें और मुकुट चोरी
धन्नीखेड़ा गांव के मंदिर में चोर मंदिर परिसर में घुसकर 10 किलोग्राम वज़न के दो पीतल के घंटे, 1.5 किलोग्राम वज़न के लगभग 20 छोटे घंटे, साउंड मशीन, निर्माण में प्रयुक्त एक मशीन (गैलेन्डर) और हनुमान जी का मुकुट चुरा ले गए।
घटना का पता सुबह उस समय चला जब ग्रामीण रोज़ की तरह मंदिर में पूजा के लिए पहुंचे। मंदिर का मुख्य द्वार का ताला टूटा हुआ था, और भीतर का दृश्य अस्त-व्यस्त था।
केवनी में दानपात्र और घंटियाँ चुराई गईं
इसी रात असोहा थाना क्षेत्र के केवनी (क्योनी) गांव के दुर्गा मंदिर में भी चोरी हुई। यहां चोरों ने मंदिर का ताला तोड़कर दानपात्र में रखी लगभग 1200–1500 रुपये नकद राशि और पीतल की 2–3 छोटी घंटे चुराईं। मंदिर में अन्य पूजा सामग्री के भी बिखरे होने के संकेत मिले हैं, जिससे प्रतीत होता है कि चोरों ने पूरा परिसर खंगाला।
पुलिस कार्रवाई शुरू, मगर ग्रामीण असंतुष्ट
दोनों मामलों में असोहा थाना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मुआयना किया और जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि जांच कराई जा रही है, और आसपास के क्षेत्रों में संदिग्धों से पूछताछ जारी है।
हालांकि, ग्रामीणों का आरोप है कि थाना क्षेत्र में रात्रिकालीन गश्त सिर्फ कागज़ों पर होती है। पहले भी चोरी की छोटी घटनाएं हुई थीं, लेकिन उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
मंदिरों में नहीं थी कोई सुरक्षा व्यवस्था
धन्नीखेड़ा और केवनी—दोनों मंदिरों में न तो सीसीटीवी कैमरे लगे थे, न ही कोई चौकीदार नियुक्त था। यह भी एक बड़ी वजह रही कि चोरों ने आसानी से वारदात को अंजाम दे दिया।
ग्रामीणों का कहना है कि मंदिर समिति ने पूर्व में सुरक्षा के लिए प्रयास किए थे, लेकिन प्रशासन से कोई सहयोग नहीं मिला। अब समिति द्वारा सीसीटीवी कैमरे और स्थायी चौकीदार की मांग दोबारा उठाई जा रही है।
धार्मिक आस्था को ठेस, भावनात्मक नुकसान भी गहरा
हालांकि चोरी गई नकदी और वस्तुओं की कीमत अधिक नहीं आंकी जा सकती, लेकिन यह घटना ग्रामीणों की धार्मिक भावनाओं को गहराई से आहत कर गई है। विशेष रूप से घंटों की चोरी ने ग्रामीणों को मानसिक और सांस्कृतिक क्षति पहुँचाई है, क्योंकि ये वस्तुएं मंदिर में दैनिक पूजा-पाठ का अभिन्न हिस्सा थीं।
सुरक्षा नहीं तो आस्था भी असुरक्षित
इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ग्रामीण इलाकों के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को गंभीरता से लिए जाने की आवश्यकता है। केवल FIR और जांच से समाधान नहीं निकलेगा, जब तक कि प्रशासन स्थायी सुरक्षा उपाय, सामुदायिक सतर्कता, और तकनीकी निगरानी की ओर कदम नहीं उठाता।
ग्रामीणों की मांग है कि इस मामले में जल्द कार्रवाई हो और भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जाए।
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