मुख्यमंत्री कार्यालय का बड़ा निर्देश: अब जनदर्शन में आई हर शिकायत पर होगा तहसीलदार स्तर से भी स्थलीय सत्यापन!

 


लखनऊ। 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय ने जनता दर्शन में प्राप्त हो रही शिकायतों के निस्तारण को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। यह आदेश राज्यभर में राजस्व से संबंधित प्रकरणों की जांच प्रणाली में बड़ा बदलाव लाने की दिशा में देखा जा रहा है। अब ऐसे किसी भी मामले का निस्तारण सिर्फ लेखपाल की रिपोर्ट के आधार पर नहीं किया जाएगा।

मुख्यमंत्री जी के जनता दर्शन में आए अनेक प्रार्थना पत्रों की जांच में यह सामने आया कि अधिकारियों द्वारा अधिकांश मामलों में केवल लेखपाल की रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही की जा रही थी। इससे कई बार शिकायतकर्ता की समस्या का समाधान अधूरा रह जाता था और वास्तविक स्थिति की गहराई से जांच नहीं हो पाती थी।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट किया है कि आगे से किसी भी राजस्व संबंधी मामले में नायब तहसीलदार द्वारा स्थलीय निरीक्षण कराना अनिवार्य होगा। यह निरीक्षण शिकायतकर्ता की बातों को सुनकर और मौके की सच्चाई को परखते हुए किया जाएगा, ताकि निर्णय निष्पक्ष और सही हो।

आदेश में यह भी कहा गया है कि केवल यथास्थिति की रिपोर्ट तैयार कर देना अब पर्याप्त नहीं माना जाएगा। सभी अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि शिकायतों का निस्तारण पूरी गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ किया जाए, ताकि जनता को न्याय मिल सके और शासन पर भरोसा बना रहे।

इस फैसले के पीछे सरकार की मंशा है कि जनता को सिर्फ औपचारिक सुनवाई नहीं, बल्कि ठोस समाधान मिले। अब प्रत्येक प्रकरण का निपटारा विधिक, तथ्यात्मक और संतुलित दृष्टिकोण से होगा, जिससे गलत या एकतरफा निर्णयों की संभावना भी कम होगी।

यह निर्देश प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों एवं राजस्व अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से लागू करने के लिए भेजा गया है। अपर मुख्य सचिव (मुख्यमंत्री) श्री विशाख जी द्वारा यह आदेश दिनांक 25 जून 2025 को हस्ताक्षरित किया गया है, जिसमें शासन की गंभीरता और पारदर्शिता की प्रतिबद्धता झलकती है।

इस फैसले से न केवल आम नागरिकों को राहत मिलेगी, बल्कि तहसील और जिला स्तर पर कार्य कर रहे राजस्व अधिकारियों की जिम्मेदारी भी बढ़ेगी। अब वे मामलों को गंभीरता से लेकर जांच और निर्णय प्रक्रिया को न्यायसंगत ढंग से अंजाम देने के लिए बाध्य होंगे।

मुख्यमंत्री कार्यालय का यह कदम प्रदेश में जनशिकायत निस्तारण की कार्यशैली को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है। इससे न सिर्फ प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि आम जनता में यह संदेश भी जाएगा कि सरकार हर नागरिक की बात सुनने और उसका समाधान सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।



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